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जबलपुर

पर्यटन हब का सपना अधूरा, हवाई सेवाएं सुधरीं, उद्योग लगे न युवाओं को मिला रोजगार

पर्यटन हब का सपना अधूरा, हवाई सेवाएं सुधरीं, उद्योग लगे न युवाओं को मिला रोजगार

जबलपुरJan 14, 2019 / 01:01 pm

गोविंदराम ठाकरे

MP Tourism

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जबलपुर। मोदी लहर में कांग्रेस के प्रत्याशी को लगभग दो लाख वोटों से शिकस्त देने वाले जबलपुर सांसद राकेश सिंह के लिए इस बार डगर कांटो भरी है। विधानसभा चुनाव में खतरे की घंटी बज चुकी है। सांसद सिंह के पाटीज़् प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए भाजपा को जिले की 4 विधानसभा सीटों में हार का सामना करना पड़ा। इसके साथ इस सीट पर भाजपा की बढ़त अब महज 31 हजार के लगभग वोटों की रह गई है। इतना ही नहीं सांसद सिंह का तीसरा कायज़्काल पूरा होने को है। सियासी विश्लेषकों के अनुसार इस बार एंटीइनकमबेंसी फै क्टर भी अहम होगा। क्योंकि लोग सवाल खड़े कर रहे हैं कि डेढ़ दशक में जिले को क्या हासिल हुआ।
हालाकि जबलपुर लोकसभा सीट भाजपा का मजबूत गढ़ रही है। राकेश सिंह लगातार तीसरी बार सांसद चुने गए थे। 2014 में उन्होंने अपने नजदीकी प्रतिद्वंदी कांग्रेस के विवेक कृष्ण तन्खा को पराजित किया था। सांसद सिंह लंबे समय से जबलपुर का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। जबलपुर में औद्योगिक विकास और युवाओं को रोजगार के अवसर दिलाने के लिहाज से उनका कायज़् उपलब्धि पूणज़् नहीं रहा। उन्होंने जबलपुर को पयज़्टन हब बनाने का सपना तो दिखाया पर उसे साकार करने की दिशा में उनके प्रयास नाकाफी रहे हैं। हालाकि रेल विद्युतीकरण की परियोजना ने गति पकड़ी। हवाई सेवाएं पहले से बेहतर हुईं। लेकिन इस दिशा में काफी काम बांकी हैं। सांसद सिंह के लोकसभा में मुख्य सचेतक बनने के बाद केन्द्रीय मंत्रियों की यहां आवाजाही बढ़ी। जबलपुर-गोंदिया ब्राडगेज परियोजना ने गति पकड़ी। डुमना एयरपोटज़् विस्तार के लिए वे केन्द्र सरकार से बड़ी राशि स्वीकृत कराने में सफल रहे। केन्द्रीय मंत्रियों से कई बड़ी घोषणाएं भी कराईं, लेकिन जमीनी स्तर पर वे साकार होती नहीं दिख रही हैं। सांसद सिंह को विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश भाजपा अध्यक्ष का पद मिला। लेकिन पाटीज़् को चुनाव में सफलता नहीं मिल पाई। गृह जिले में पाटीज़् की सीटें घटकर आधी रह गईं।

ये रही खामियां-

कोहला गांव को सांसद आदशज़् ग्राम के तहत चुने जाने पर आसपास के आदिवासी बाहुल्य पिछड़े इलाके को उम्मीद जगी थी कि क्षेत्र में जिम्मेदारों की आवाजाही बढ़ेगी। 20 से ज्यादा दूरस्थ गांवों तक सड़क, परिवहन की सुविधा होगी। पेयजल सुलभ होगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आदशज़् ग्राम को शासन की कई योजनाओं का लाभ मिला, लेकिन समीपस्थ क्षेत्र पीछे छूट गया। नतीजा ये रहा कि विधानसभा चुनाव में भाजपा को आदशज़् ग्राम कोहला समेत समीपस्थ गांवों में हार का सामना करना पड़ा।

25 साल से भाजपा लगातार-

जबलपुर संसदीय क्षेत्र में भाजपा पिछले पांच पंचवषीज़्य से लगातार परचम पहराती रही है। पहले बाबू राव परांचपे भाजपा से सांसद रहे। फिर जय श्री बैनजीज़् ने पाटीज़् के टिकट पर जीत दजज़् की। उनके बाद पिछली तीन पंच वषीज़्य से राकेश सिंह लगातार सांसद हैं।

कांग्रेस का भी जबलपुर में फोकस बढ़ा-

भाजपा ने सांसद सिंह को पाटीज़् का प्रदेश अध्यक्ष बनाया तो कांग्रेस का भी इस अंचल में फोकस बढ़ा। कांग्रेस ने कमलनाथ को पाटीज़् प्रदेश अध्यक्ष बनाया। माना जा रहा था कि भाजपा अपने गढ़ में और मजबूत होगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, भाजपा के मुकाबले कांग्रेस की स्थिति बेहतर हुई। जिले में शहर और ग्रामीण क्षेत्र की 8 विधानसभा सीटें हैं। 2013 में भाजपा के पास इनमें से 6 सीट थीं, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में वह वह घटकर चार हो गईं।

बदल गए राजनीतिक समीकरण-

भाजपा को जबलपुर में लोकसभा चुनाव और विधानसभा के साथ-साथ नगर निगम चुनाव में भी जनता का जबदज़्स्त सफलता मिलता रहा। लेकिन यहां से चुने गए विधायकों को प्रदेश के मंत्रीमंडल में उचित स्थान नहीं मिलता। पिछली बार उत्तर विधानसभा से विधायक शरद जैन को राज्यमंत्री पद दिया गया था। लेकिन कांग्रेस ने इस विधानसभा चुनाव में दो विधायकों को कैबिनेट मंत्री बनाकर राजनीतिक समीकरणों को बदल दिया है। विधायक तरुण भनोत को वित्त जैसा महत्वपूणज़् मंत्रालय सौंपा है। लखन घनघोरिया को सामाजिक न्याय मंत्रालय दिया गया है। जबकि तीसरे विधायक संजय यादव को सचेतक बनाया गया है। कांगे्रस इस बार के चुनाव में यहां जीत के लिए पूरी ताकत झोंकेगी।

यह काम किए

– देश के विभिन्न शहरों को हवाई सेवाओं से जोडऩा।
-भेड़ाघाट में लाइट एंड साउंड कायज़्क्रम की शुरूआत।

-एयरपोटज़् का विस्तार, रनवे और टमिज़्नल बिल्डिंग।

-ब्रॉडगेज के काम को तेज करने के लिए राशि का आवंटन।
-छठवीं सीजीएचएस डिस्पेंसरी की मंजूरी दिलाना।

– इटारसी-इलाहाबाद रेत विद्युत परियोजना स्वीकृति में भूमिका।यह काम अधूर
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-मदन महल फ्लाई ओवर का काम अब तक शुरू नहीं।

-टूल रूम की स्थापना में बड़ी पहल नहीं की।

-जबलपुर को पयज़्टन हब बनाने पयज़्टन स्थलों में इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास।
-साइंस सेंटर और तारामंडल प्रोजेक्ट की सुस्त चाल।-उवज़्रक कारखाना जबलपुर में खुलना है, नहीं हुई पहल नहीं।

-मटर प्रोसेसिंग यूनिट पर बात की लेकिन नहीं हुई स्थापना।
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चुनाव वषज़्, भाजपा, कांगे्रस,
-2013 विधानसभा, 575411(6) सीट, 450254(2 )सीट

-2014 लोकसभा, 554609, 355970

-2018 विधानसभा,567506(4)सीट, 535673(4)सीट
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ये रहीं खामियां-

लोगों का कहना है

भेड़ाघाट में पयज़्टन विकास के लिए आवश्यक प्रयास नहीं किए गए, सांसद को इस फोकस करन चाहिए। रमणीय स्थलों के पास पयज़्टकों के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित नहीं किया गया। रेलवे स्टेशन को पयज़्टन स्टेशन बनाने भी प्रयास नहीं किए गए, जिससे की एक्सप्रेस ट्रेन स्टेशन पर रुक सकें।
चेतराम पटेल, भेड़ाघाट

जबलपुर में उद्योगों का विकास नहीं हुआ, रोजगार के अवसर बढ़ाने कोई प्रयास नहीं किए गए। नतीजतन युवा पलायन करने मजबूर हैं। विकास के मामले में महाकौशल की केन्द्र बिंदु रही संस्कारधानी आज हर लिहाज से समकक्ष रहे शहरों के मुकाबले पिछड़ गया है।

अनूप राय, ललपुर

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