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एमपी के इस सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में बेहद सस्ता है उपचार, इलाज शुरु होते ही मरीजों की भर्ती के लिए वेटिंग

प्रदेश का पहला सरकारी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, कार्डियक-न्यूरों में क्षमता से ज्यादा मरीज

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Hospitals-Laboratories- निजी अस्पतालों-प्रयोगशालाओं की किसमें कम हो रही रुची

Hospitals-Laboratories- निजी अस्पतालों-प्रयोगशालाओं की किसमें कम हो रही रुची

जबलपुर. नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में इलाज शुरू होने के साथ ही मरीजों के लिए बेड की कमी हो गई है। गम्भीर और सर्जरी के मरीजों की संख्या बढऩे से हॉस्पिटल के सभी वार्ड फुल हो गए हैं। कार्डियक और न्यूरो यूनिट में क्षमता से ज्यादा मरीज आ रहे है। हालात यह है कि दूसरे विभाग के वार्ड में मरीजों को भर्ती करने के बाद भी न्यूरो और हृदय सम्बंधी मरीजों को जगह कम पड़ रही है।

हर वार्ड में 23-24 बेड

केंद्र और प्रदेश सरकार की संयुक्त भागीदारी से 150 करोड़ रुपए से बने सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में सात वार्ड हैं। हर वार्ड में 23-24 बिस्तर हैं। दो विभागों के बीच एक 10 बिस्तर वाला आईसीयू है। अस्पताल में जिस तेजी से मरीजों की संख्या बढ़ रही है, उसके अनुपात में मौजूदा बिस्तर कम पडऩे लगे हैं। ओपीडी में मरीज बढऩे से परिजन के लिए वेटिंग लाउंज सहित अन्य सुविधाएं भी कम पड़ रही हैं।

अस्पताल में सुविधाएं

- 206 बिस्तर हैं सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में
- 07 वार्ड, प्रत्येक में 23-24 बिस्तर हैं

- 03 आईसीयू, प्रत्येक में 10-10 बेड

अधूरे सेटअप में ही वेटिंग

हॉस्पिटल में अभी हार्ट और न्यूरो यूनिट ही पूरी तरह संचालित हो रही है। यूरोलॉजी में भी सर्जरी शुरू हो गई है। शेष यूनिट में अभी सामान्य रूप से ओपीडी ही संचालित हो रही है। इन वार्डों के खाली बेड पर हार्ट, न्यूरो के मरीजों को अस्थायी रूप से भर्ती किया जा रहा है। इसके बावजूद बाहर से आने वाले मरीजों को मेडिकल अस्पताल में दो-तीन दिन भर्ती रहने के बाद सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में एंट्री मिल रही है। आईसीयू फुल रहने से कुछ गम्भीर मरीजों को लौटाना पड़ रहा है।

मरीजों की स्थिति

- 250 से ज्यादा मरीज रोज पहुंच रहे ओपीडी में

- 150 के करीब इसमें महज न्यूरो, हार्ट यूनिट में

- 06 से ज्यादा सर्जरी हो रही प्रतिदिन

एक फ्लोर और बने तो सुविधा बढ़े

जानकारों के अनुसार हॉस्पिटल बिल्डिंग में एक और फ्लोर का निर्माण कराकर वार्डों और बिस्तरों की संख्या बढ़ाई जा सकती है। अभी केवल जनरल वार्ड है। अतिरिक्त तल पर प्राइवेट वार्ड भी तैयार हो सकते हैं। इसके लिए अलग शुल्क निर्धारित कर आय भी बढ़ाई जा सकती है। इंदौर में इस जरूरत को भांपते हुए सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल शुरू होने से पहले ही अतिरिक्त तल बनाकर प्राइवेट वार्ड बनाया गया है।

छोटा पड़ रहा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल

इन सुविधाओं के कारण बढ़ रहा भार

- सबसे एडवांस जांच मशीनें
- सेंट्रलाइज्ड एयर कंडीशनर

- अंचल की आधुनिक कैथ लैब
- परामर्श, जांच शुल्क कम है

- सरकारी योजनाओं का तुरंत लाभ
- फुली इक्युप्ड वेंटीलेटर

- हाईटेक ऑपरेशन थिएटर


कोई न लौटें ये सुनिश्चित करनें का प्रयास

सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. वायआर यादव के अनुसार ओपीडी और आइपीडी बढ़ी है। न्यूरो यूनिट में मरीज काफी ज्यादा हैं। काडिर्यक यूनिट में मरीजों के लिए जगह कम पडऩे की जानकारी मिली है। यहां तक पहुंचे हर मरीज को बेहतर उपचार सुनिश्चित करने के प्रयास कर रहे हैं। कोई मरीज बिना इलाज कराए न लौटे, इसके लिए अन्य विभागों से सामंजस्य बनाकर खाली बेड पर मरीजों को भर्ती कर रहे हैं।