स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। पांच साल पूर्व तक प्राथमिक एवं माध्यमिक कक्षाओं में पढने वाले बच्चों की संख्या जहां 30 हजार के आसपास थी वह अब बढ़कर 44 हजार पहुंच गई है। हाई एवं हायर सकेंडरी में भी करीब 7 हजार छात्र स्कूलों में अध्ययनतर हैं। उच्च शिक्षा के लिए करीब 6000 छात्र इस वर्ग जुडे हैं। शिक्षा ने इस समुदाय के 40 फीसदी लोगों की जीवनशैली को बदल दिया है। पंचायती राज में पंच, सरपंच, जनपद अध्यक्ष, जनपद प्रतिनिधि, जिला पंचायत प्रतिनिधि जैसे पदों को इस समाज के लोगों ने सुशोभित किया है। आज युवा वर्ग हो या फिर खेती किसानी, नौकरी पेशा करने वाला अब वह भी तकनीकी रूप से अपडेट हुआ है। कम्प्यूटर, मोबाइल, लेपटॉप के उपयोग में दूसरे से पीछे नहीं हैं। खेती किसानी का मसला भी मोबाइल तकनीक के उपयोग से हल कर रहे हैं।
इनका कहना है
उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अब आदिवासी समाज के बच्चे आगे आ रहे हैं। शासन इसके लिए उन्हें हर स्तर पर सहयोग दे रही है। एक दशक के दौरान बदलाव देखा गया है। तकनीकी पढ़ाई में आगे आ रहे हैं।
पीके सिंह, क्षेत्र संयोजक जनजाति विभाग
आदिवासी समाज में जागरूकता बढ़ी है। छात्रों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। कोविड काल के दौरान आदिवासी बेल्ट में अभिभावकों और बच्चों ने मोबाइल तकनीक का शिक्षण कार्य में बेहतर उपयोग कर इसे साबित भी कर दिखाया।
डीके श्रीवास्तव, एपीसी, जिला शिक्षा केंद्र