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जबलपुर

Tulasi Vivah Vrat Katha and Puja Vidhi ऐसे करें माता तुलसी का विवाह, जानें ये वैदिक विधि और महत्त्व

पूजन करने से घरों में सुख शांति आती है। जिस घर के आंगन में तुलसी का पौधा होता है वहां रोग दरिद्रता फूले भटके भी नहीं आती है।

जबलपुरOct 31, 2017 / 10:11 am

Lalit kostha

Tulasi Vivah Vrat Katha and Puja Vidhi ऐसे करें माता तुलसी का विवाह, जानें ये वैदिक विधि और महत्त्व

Tulasi Vivah Vrat Katha and Puja Vidhi ऐसे करें माता तुलसी का विवाह, जानें ये वैदिक विधि और महत्त्व

जबलपुर। तुलसी जैसा नाम वैसा काम। शांत मन से लिए जाने वाला और अपने आप में एक अलग ही अनुभूति कराने वाला नाम है तुलसी। तुलसी को देव रूप माना जाता है वही इसमें आयुर्वेदिक ऐसे गुण समाए हैं कि यह आयुर्वेद में सबसे ऊपर आती है। इसके पूजन से जहां मन को शांति मिलती है। वहीँ सेवन से स्वस्थ को लाभ प्राप्त होता है। कहते हैं तुलसी का पत्ता रोज खाया जाए तो रोगों से बचा जा सकता है। वही पूजन करने से घरों में सुख शांति आती है। जिस घर के आंगन में तुलसी का पौधा होता है वहां रोग दरिद्रता फूले भटके भी नहीं आती है।

जबलपुर में तुलसी विवाह के अवसर पर बारात भी निकाली जाती है। साथ ही घर घर गन्ने के मंडप बनाकर माता तुलसी भगवान शालिग्राम का विवाह संपन्न कराया जाता है। तुलसी का अनुष्ठान में भी विशेष महत्व है। इसके पौधे के पत्तों का प्रयोग यज्ञ हवन पूजन कर्मकांड साधना और उपासना आदि में होता है। इसके अलावा तुलसी के पत्ते जिस भोजन में डाल दिए जाते हैं पवित्र हो जाता है। विशेषकर कृष्ण मंदिर में बिन तुलसी के पत्तों के भोग नहीं लगता है।

देव उठनी एकादशी पर भगवान विष्णु के शालिग्राम में उनका विवाह संपन्न होता है। इसके साथ ही आम जन के शादी विवाह मांगलिक कार्यक्रमों का शुभारंभ अभी हो जाता है। ज्योतिष आचार्य पंडित जनार्दन शुक्ला के अनुसार कार्तिक माह की एकादशी के दिन देव उठनी ग्यारस मनाई जाती है। जिसे माना जाता है कि इस दिन चार माह की निद्रा के बाद भगवान विष्णु जगे थे।
ज्योतिषाचार्य शुक्ला के अनुसार भगवान शालिग्राम का विवाह माता तुलसी से संपन्न हुआ था।
ये तिथि कार्तिक माह की एकादशी थी। शालिग्राम भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं। लोग अपने घरों में प्रबोधिनी एकादशी के रूप में इनका विवाह पूजन करते हैं।
तुलसी विवाह में करें ये उपाय
शाम से माता तुलसी का पौधा घर के आंगन में रखें और इसके पूर्व जिस स्थान पर पूजन विधान करना है वहां गाय के गोबर से लेपन कर दे। इसके बाद माता तुलसी को लाल चुनरी उड़ाएं और उनका तिलक बंधन करें। तुलसी माता कुमकुम सिंदूर चुनरी चूड़ी समेत अन्य सुहाग की चीजें चढ़ाने चाहिए। इसके बाद भगवान शालिग्राम के साथ माता का विवाह विधि विधान से संपन्न करें। ऐसा करने से सुहागन को अटल सुहाग का वरदान प्राप्त होता है वहीं परिवार में सुख समृद्धि आती है।

तुलसी विवाह में ऐसे से बनाए मंडप
जिस प्रकार किसी शादी समारोह में विवाह मंडप होता है.उसी तरह से गन्ने का प्रयोग करके तुलसीजी और भगवान विष्णु के विवाह के लिए मंडप बनाया जाता है।
तुलसी के लाभ
– आयुर्वेद के अनुसार, तुलसी के नियमित सेवन से व्यक्ति के विचार में पवित्रता, मन में एकाग्रता आती है।
– क्रोध पर नियंत्रण होता है।
– आलस्य दूर हो जाता है. शरीर में दिन भर स्फूर्ति बनी रहती है।
– औषधीय गुणों की दृष्टि से तुलसी संजीवनी बूटी से कम नहीं है।

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