हाईकोर्ट सख्त : नगर निगम व सरकार से मांगा ब्योरा
जबलपुर•Jul 09, 2020 / 07:01 pm•
prashant gadgil
case filing
जबलपुर. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने जबलपुर में मंथर गति से जारी सीवर लाइन निर्माण कार्य के प्रति जमकर असंतोष जाहिर किया। चीफ जस्टिस एके मित्तल व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने इस कार्य में अब तक हुए पाई-पाई खर्च का हिसाब-किताब पेश करने के सख्त निर्देश दिए। मामले की अगली सुनवाई 20 जुलाई को नियत की गई।
यह है मामला
इस मामले पर हाईकोर्ट ने 2017 में स्वत: संज्ञान लिया था। 2019 में जबलपुर के कांग्रेस नेता सौरभ नाटी शर्मा ने भी इस मसले पर जनहित याचिका दायर की। दोनों याचिकाओं की बुधवार को संयुक्त सुनवाई की गई। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने तर्क दिया के इस कार्य को आरंभ हुए 13 साल हो गए हैं। उन्होंने काम की रफ्तार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि 13 साल में सिर्फ 30 प्रतिशत काम हुआ। यही गति रही तो 50 साल बाद भी यह पूरा नही होगा। अभी तक कहीं भी कॉलोनियों को मुख्य सीवर लाइन के जरिए जोड़ा नहीं जा सका है। एक बार फिर बरसात सामने है और जल प्लावन की स्थिति निर्मित होने के पूरे आसार हैं। ऐसे में नगर निगम का करोड़ों खर्च करने का दावा फर्जी नजर आता है। कई जगहों पर पाइप लाइन धसक गई है।
खर्च की विस्तृत जानकारी पेश करें
अधिवक्ता संघी ने कोर्ट का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि 24 फरवरी को तत्कालीन महाधिवक्ता इस मामले पर स्वयं कोर्ट में उपस्थित हुए थे। उन्होंने कोर्ट को बताया था कि जबलपुर में सीवर लाइन के काम पर अब तक 210 करोड रुपए खर्च किए जा चुके हैं। इसके बावजूद करोडों का काम कहीं भी नजर नहीं आता। इस पर कोर्ट ने निर्देश दिए कि सीवर लाइन के नाम पर अब तक हुए पाई-पाई खर्चे का हिसाब प्रस्तुत किया जाए। किस मद में कितना खर्च हुआ, इसका पूरा ब्यौरा दिया जाए। इस मामले में पूर्व सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने सख्ती बरतते हुए साफ कर दिया था कि यदि आवश्यकता हुई तो सीबीआई या सीआईडी को जांच सौंप दी जाएगी।