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जबलपुर

विश्वविद्यालयों में पीएचडी की गुणवत्ता पर उठे सवाल, अब यूजीसी ने लिया ये कड़ा फैसला

यूजीसी का निर्णय: विश्वविद्यालय प्रशासन से मांगा पीएचडी का ब्योरा

जबलपुरJun 03, 2019 / 05:55 pm

abhishek dixit

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जबलपुर. विश्वविद्यालयों में पीएचडी की गुणवत्ता अब संदेह के घेरे में आ गई है। अनुसंधान के गिरते स्तर के कारण यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) ने पुरानी पीएचडी थीसिस की जांच कराने का निर्णय किया है। इसके लिए सभी विश्वविद्यालयों को अधिसूचित भी कर दिया गया है।

जानकारों के अनुसार प्रदेश ही नहीं, देशभर के विश्वविद्यालयों की स्थिित ऐसी ही है। दुनियाभर के टॉप 100 विश्वविद्यायों में भारत का एक भी विश्वविद्यालय नहीं है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शोध में भारत की गैर मौजूदगी पर भी सवाल उठ रहे हैं। निजी विश्वविद्यालयों की संख्या में वृद्धि के बाद भी पीएचडी थीसिस की गुणवत्ता हासिए पर है। यूजीसी सेके्रटरी रजनीश जैन की ओर से विश्वविद्यालयों को जारी कए गए नोटिस में कहा गया है कि पिछले दस साल में अवॉर्ड हुई पीएचडी थीसिस की जांच कराई जाएगी। इसकी जानकारी केंद्र और राज्यों को भेजी जाएगी।

दो हजार थीसिस की होगी जंाच
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय की ओर से हर साल 200-225 डिग्री छात्र-छात्राओं को अवॉर्ड की जाती हैं। इस हिसाब से पिछले दस साल में करीब दो हजार थीसिस छात्र-छात्राओं को अवॉर्ड हुई हैं। इन सभी की जांच एजेंसी से कराई जाएगी।

विश्वविद्यालय की ओर से जारी थीसिस अवॉर्ड गुणवत्तापरक होते हैं। शोध की गुणवत्ता को और परिस्कृत किया जाना चाहिए। इसी उद्देश्य से यूजीसी ने यह निर्णय किया है।
प्रो. कमलेश मिश्रा, कुलसचिव, रादुविवि

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