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जबलपुर

इस यूनिवर्सिटी में पढऩे वाला बन जाता है नेता, केन्द्रीय मंत्री से लेकर विधायक सांसद पढ़े यहां

इस यूनिवर्सिटी में पढऩे वाला बन जाता है नेता, केन्द्रीय मंत्री से लेकर विधायक सांसद पढ़े यहां

जबलपुरOct 26, 2018 / 12:28 pm

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मयंक साहू@जबलपुर. रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय महाकौशल क्षेत्र का सबसे बड़ा परम्परागत विश्वविद्यालय है। यहां से देश-प्रदेश को कई नेता मिले हैं। वे शहर का नाम रोशन कर रहे हैं, लेकिन दु:ख इस बात का है कि जहां उन्हें शिक्षा और सियासत के गुर मिले उसी विश्वविद्यालय को प्रदेश और देश का सर्वश्रेष्ठ विवि बनाने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। यह पीड़ा विवि के छात्र विकास कुमार और सोम दत्त के साथ कई अन्य छात्रों की थी। यह पीड़ा पत्रिका के सामने उभर कर सामने आई। छात्र विश्वविद्यालय की जनप्रतिनिधियों की ओर से की जा रही उपेक्षा और शिक्षण व्यवस्थाओं की गिरती स्थिति से नाराज थे।

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छलका छात्रों का दर्द: रादुविवि के विकास के लिए जनप्रतिनिधि गंभीर नहीं
जिस विवि में पढ़ा सियासी पाठ, उसी का विकास भूले नेता
ये पढकऱ निकले, बने नेता-
पूर्व केन्द्रीय मंत्री शरद यादव, सांसद प्रहलाद पटेल, महाकोशल विकास प्राधिकरण अध्यक्ष प्रभात साहू,बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष राकेश साहू, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्व. ईश्वरदास रोहाणी, विधायक सुशील तिवारी इंदु, राज्य मंत्री शरद जैन, विधायक अंचल सोनकर, पूर्व मंत्री कौशल्या गोंटिया, पूर्व मंत्री हरेन्द्रजीत सिंह बब्बू, भाजयुमो प्रदेश अध्यक्ष अभिलाष पांडे समेत दर्जनों नेता इस यूनिवर्सिटी में पढ़े हैं।

डिग्री का क्या फायदा: छात्रा दीपिका कोल एवं पूजा गोल्हानी की नाराजगी सरकार और शिक्षण व्यवस्था को लेकर थी। उनका दर्द था कि युवाओं के शिक्षा के बाद नौकरी करने के सपने होते हैं। लेकिन युवा डिग्री लेकर जब विश्वविद्यालय से बाहर आता है तो बेरोजगारों की भीड़ में वह भी शामिल हो जाता है। यह बेहद ही दुखद स्थिति है। इस दिशा में सरकार और उच्च शिक्षा विभाग को ठोस पहल करने की जरूरत है।

विवि को नहीं बनाएं राजनीति का अखाड़ा: रिसर्च स्कॉलर अध्यक्ष अनुज प्रताप सिंह, ओशो गुरुंग ने कहा, आज विश्वविद्यालय राजनीति का अखाड़ा बनता जा रहा है। कई बार प्रशासन पर सत्ता हावी रहती है। इस मिथ्य को तोडऩा होगा। छात्रों को राजनीति का मोहरा बना दिया जाता है। छात्र यहां राजनीति करने नहीं आता है बल्कि पढऩे के लिए आता है। राजनेताओं और प्रशासन को भी इस पर मनन करने की जरूरत है।

फैकल्टी बढ़े, कक्षाएं लगें: पंकज कुशवाहा, लवदीप, अनिमेष का कहना है कि विश्वविद्यालय में फैकेल्टी की कमी है। शिक्षण विभाग गेस्ट फैकेल्टी के हवाले है। विश्वविद्यालय को पर्याप्त बजट नहीं मिल पा रहा है। संसाधनों की कमी से विभाग जूझते हैं। छात्रहित और शिक्षा हित के दिशा में जनप्रतिनिधि को आगे आना चाहिए। यदि जनप्रतिनिधि सक्रिय हो जाएं तो निश्चित ही शिक्षण व्यवस्था में सुधार होगा।

कैसे हो विवि में अनुसंधान: छात्र दीपेश मिश्रा, वीरमरधा तल्ख लहजे में कहते हैं, विश्वविद्यालय अनुसंधानों के लिए जाना जाता है लेकिन यहां पिछले दो सालों से पीएचडी नहीं हो पा रही है। अब कम विषयों में ही छात्रों को मौका मिलने जा रहा है। अनुसंधान के प्रति छात्रों को जोडऩा बेहद जरूरी है। इसके लिए शिक्षण व्यवस्था, फैकेल्टी पर्याप्त होनी जरूरी है।

जरूरी जानकारी
68 – वर्ष पुराना विश्व विद्यालय
08 – जिले विश्व विद्यालय के अधीन
27 – पाठयक्रमों का संचालन
250 – से अधिक कॉलेज विवि से जुड़े
02 – लाख छात्र अध्ययनरत

यह उठे मुद्दे
नेताओं की शिक्षा के प्रति जिम्मेदारी नहीं
विवि में राजनीतिक दलों की बढ़ती दखलअदांजी
डिग्री के बाद भी छात्र बेरोजगार
सुरक्षा व्यवस्था लडख़ड़ाई
फैकेल्टी की कमी से गिर रहा शिक्षा का स्तर

रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय का शिक्षा का स्तर पहले की तुलना में काफी बढ़ा है। इस दिशा में प्रयास भी किए गए हैं। छात्रों की सुरक्षा, टॉयलेट, भवन, शिक्षण व्यवस्था के मुद्दे को उठाया गया है। विवि के साथ कॉलेजों की दिशा में जो भी गंभीरता से प्रयास किए जाएंगे।
– अशोक रोहाणी, विधायक केंट

महाकौशल क्षेत्र का यह महत्वपूर्ण विश्वविद्यालय है जिसने कई नेता दिए हैं। हमारा फर्ज है कि शिक्षा को सर्वोपरि रखकर इस दिशा में छात्रों की आवाज बने। विवि के हित में शिक्षण व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जाएंगे।
– अभिषेक चौकसे, कांग्रेस नेता, केंट

शिक्षा में व्यवसायीकरण कतई नहीं होना चाहिए। हम किसी भी भी दल से नहीं है। इसका लगातार विरोध करते आ रहे हैं। शिक्षा का स्तर गिरा है। इसे बढ़ाने की जरूरत है।
– शुभांग गोटिया, महानगर मंत्री, एबीवीपी

विवि में शिक्षण व्यवस्था को सुदृढ़ करने की जरूरत है। विवि में राजनीतिकरण हावी हो रहा है इसे रोकने की जरूरत है। छात्रहित के मुद्दे को लेकर लगातार हम आंदोलन करते आ रहे हैं। आगे भी सक्रिय भूमिका निभाते रहेंगे।
– सचिन रजक, प्रवक्ता एनएसयूआई

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