यह है मामला
सिंगरौली स्थित देश के सबसे बड़े थर्मल पॉवर प्लांट सासन पॉवर लिमिटेड की ओर से याचिका में कहा गया कि वे देश में सबसे सस्ती बिजली १.१९ रुपए की दर से बनाकर मप्र एवं अन्य राज्यों को देते हैं। बिजली उत्पादन में प्रयुक्त होने वाले पानी की आपूर्ति के संबंध में कंपनी ने मध्य प्रदेश सरकार से अनुबंध किया। इस अनुबंध के तहत उन्हें सिंगरौली जिले की उत्तर प्रदेश सीमा में स्थित रिहन्द जलाशय से पानी दिया जा रहा है। मप्र सरकार इसका शुल्क लेती है। वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने कोर्ट को बताया कि रिहन्द जलाशय का कुछ हिस्सा उप्र में आता है। इसके चलते बीते दिनों उत्तर प्रदेश सरकार ने उनसे पानी आपूर्ति के नाम पर शुल्क की मांग शुरु कर दी।
जल आयोग ने नहीं माना अंतर्राज्यीय विवाद
इस मामले में दोनो प्रदेशों के आला अफसरों की बैठक के बाद यह निष्कर्ष निकला कि यह अंतर्राज्यीय जल विवाद है। इसका निर्धारण केंद्रीय जल आयोग करेगी। कंपनी ने आयोग के समक्ष अ र्जी लगाई, लेकिन यह कहते हुए निरस्त कर दी गई कि दोनों में से कोई भी राज्य आयोग के समक्ष विवाद को लेकर नहीं आया। इस पर यह याचिका दायर की गई। कोर्ट से यह निर्धारित करने का आग्रह किया गया कि याचिकाकर्ता मप्र या उप्र में से किसे जल शुल्क अदा करे। प्रारंभिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार के जल संसाधन विभाग, उप्र जल विद्युत विभाग, उप्र के ऊर्जा विभाग प्रमुख सचिव, केंद्रीय जल आयोग, केंद्रीय विद्युत अधिकरण, मप्र पॉवर मैनेजमेंट कंपनी को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए। अगली सुनवाई २९ अप्रैल को होगी।