जिले में वर्तमान में लगभग 122 पेट्रोल पंप हैं। इसमें इंडियन ऑयल कारपोरेशन लिमिटेड (आइओसीएल) के सबसे ज्यादा 47 पंप हैं। भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के करीब 45 और हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) के लगभग 20 पंप हैं। इसी प्रकार कुछ निजी कंपनियों ने भी अपने पंप खोले हैं। बताया जाता है कि बीती मार्च तक सभी पेट्रोल पंपों में ऑटोमेशन संबंधी प्रक्रिया पूरी की जानी थी। यदि कंपनियों के अधिकारियों की मानें तो यह काम लगभग पूरा हो चुका है। आइओसीएल में करीब 80 प्रतिशत, बीपीसीएल में 93 तो एचपीसीएल में लगभग 100 फीसदी ऑटोमेशन पूरा हो चुका है।
क्या है ऑटोमेशन
दरअसल ऑटोमेशन की प्रक्रिया डिजीटल व्यवस्था है। इसमें सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि ग्राहक को सही मात्रा में पेट्रोल या डीजल मिला की नहीं, इसके जरिए जाना जा सकता है। महीनों पुराना डाटा भी निकल जाता है। सारा सिस्टम तेल कंपनियों से जुड़ा होता है। कंपनी या डीलर अपने कार्यालय में बैठकर पेट्रोल पंप से ईंधन की खरीदी बिक्री की मात्रा देख सकता है। यही नहीं टैंक में कितना स्टॉक है इसका पता भी लग जाता है। अब रोजाना रेट बदलते हैं तो जिन पंपों में ऑटामेशन सिस्टम पूरी तरह का कर रहा है, वहां मैनुअल बदलाव नहीं होता। ऑटोमैटिक दाम बदल जाते हैं। मशीन में जरा भी खराबी आए तो डिलेवरी ऑटोमैटिक बंद हो जाती है। बिल की पंर्ची भी उसी से निकल सकती है।
फैक्ट फाइल
– जिले में लगभग 122 पंप संचालित।
– पेयजल व्यवस्था सभी 122 पर।
– शौचालय की व्यवस्था 80 पंपों पर।
– 71 पंपों पर हवा भरने की सुविधा ।
– पानी, हवा व शौचालय में गड़बड़ी पर कार्रवाई।
– खाद्य विभाग ने इस साल दिए 10 नोटिस।
– करीब पांच पंपों पर लगाया गया जुर्माना।
सिस्टम में खामियां
ऑटोमेशन सिस्टम पंपों पर जरुर चालू हो गया है लेकिन उसमें कई बार तकनीकी समस्याएं आ जाती हैं। एक बार गड़बड़ी आने पर डिलेवरी यूनिट काम करना बंद कर देती है। उसमें सुधार भी कंपनी के इंजीनियर ही कर पाते हैं। इसकी वजह सेल्समैन का तकनीकी रूप से दक्ष नहीं होना है। यही नहीं कई जगह नेटवर्क की समस्या भी रहती है।
ऑटोमेशन का काम तेजी से किया जा रहा है। 80 फीसदी पंप इसके दायरे में आ चुके हैं। 20 फीसदी पंपों को फारमेट दे दिया गया है। इस माह यह काम भी पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है।
प्रणव कुमार शर्मा, सेल्स ऑफिसर आइओसी
आज की स्थिति में 93 प्रतिशत ऑटोमेशन हो चुका है। इस प्रक्रिया को कार्यालय में बैठकर देखा जा सकता है। जल्द ही यह 100 फीसदी हो जाएग। मेंटीनेंस संबंधी शिकायतें आती हैं। उनका निराकरण भी होता है।
अविनाश कुमार, सेल्स ऑफिसर बीपीसीएल
पेट्रोल पंपों की हर महीने तो नहीं लेकिन दो से तीन महीनों में जांच की जाती है। कुछ खामियां मिलने पर नोटिस और जुर्माना की कार्रवाई की हैं। मात्रा संबंधी शिकायतें मिलती हैं, उन्हें नापतौल विभाग को भेजा जाता है।
सीएस जादौन, जिला आपूर्ति नियंत्रक