वन्य जीवों के संरक्षण और संवर्धन को लेकर लाखों करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। बावजूद इसके उनका जीवन संकट के दौर से गुजर रहा है। इसका जीवंत उदाहरण जबलपुर के चिकनी कुंआ क्षेत्र में शुक्रवार शनिवार की रात को देखने मिला। जहां कुत्तों के दौड़ाने पर एक मादा बंदर गहरे कुएं में जा गिरी। स्थानीय लोगों ने उसे बचाने का भरसक प्रयास किया लेकिन वे सफल नहीं हो पाए। रात से ही उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों व कार्यालय में फोन लगाया। किंतु वहां से भी कोई जिम्मेदार ये नहीं बोला कि हम आते हैं। उल्टा उन्होंने नगर निगम को इसके लिए जिम्मेदार बता दिया।
सर्प विशेषज्ञ ने बाहर निकाला
सुबह जब बंदरिया तैरते तैरते मरणासन्न स्थिति में पहुंच गई तब कुछ लोगों ने सर्प विशेषज्ञ गजेन्द्र दुबे से संपर्क किया। हालांकि उन्होंने इस बावत उन्होंने लोगों से कहा कि कानूनी तौर पर ये काम उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है। फिर भी जब वन विभाग के लोग नहीं पहुंचे तो उन्होंने बंदरिया का रेस्क्यू कर उसे कुंए से बाहर निकाला। कुंआ से बाहर आने पर बंदरिया बेहोशी की हालत में थी। उसका जबड़ा बंद हो चुका था। जैसे तैसे उसके पेट से पानी निकाला गया। तब कहीं वह थोड़ी होश में आई। गजेन्द्र दुबे ने अद्र्धमूर्छित अवस्था में बंदरिया को वन विभाग के हवाले कर दिया।
हमारा काम नहीं
वन विभाग के एक जिम्मेदार अधिकारी से जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने अपना पल्ला झाड़ लिया। उनका कहना था कि बंदर पकडऩा हमारा नहीं नगर निगम का काम है। ऐसे मामलों में वहीं जिम्मेदार है। कुंए से बंदरिया बाहर नगर निगम का दल ही करेगा।
ये गैर जिम्मेदाराना है, खबर लेंगे
डीएफओ रविन्द्रमणी त्रिपाठी ने कहा कि वन्य जीव चाहे कोई भी हो, उसका रेस्क्यू करना वन विभाग की जिम्मेदारी है। जिन लोगों ने इस काम से इंकार किया है मैं उनसे बात करता हूं, उचित कार्रवाई भी की जाएगी।