‘कैसे जी सकेगी’
अपील में इस फैसले को गलत बताते हुए अपीलकर्ता कहा गया कि बेटी को गर्भपात की इजाजत नहीं दी गई, तो वह समाज में जी नहीं सकेगी। आग्रह किया गया कि पीडि़ता की मेडिकल बोर्ड गठित कर जांच कराई जाए। इसे मंजूर कर कोर्ट ने सरकार को जांच रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दे दिया।
यह है मामला
भोपाल निवासी महिला ने रिट अपील में कहा कि उसकी 13 वर्षीय बेटी के साथ रेप हुआ। जिसके चलते वह गर्भवती हो गई। जब तक याचिकाकर्ता को पता लगता, काफी देर हो गई। फिलहाल उसे 6 माह से अधिक का गर्भ है। उसकी बेटी बहुत छोटी है। उसकी मानसिक व शारीरिक हालत ऐसी नहीं है कि वह बच्चे को जन्म दे सके। गर्भपात की अनुमति लेने के लिए उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट के निर्देश पर गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल के एक्सपर्ट डॉक्टरों की टीम ने किशोरी की जांच कर पेश की गई रिपोर्ट में बताया कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेसी एक्ट की धारा 3 के तहत गर्भपात उचित नहीं होगा। रिपोर्ट में कहा गया कि नाबालिग को 26 सप्ताह का गर्भ है। ऐसी स्थिति में गर्भपात जच्चा-बच्चा के लिए जानलेवा हो सकता है। इसके आधार पर 5 जुलाई 2019 को सिंगल बेंच ने किशोरी को गर्भपात की अनुमति देने से साफ मना कर दिया।