हाईकोर्ट ने राज्य सरकार व अन्य को नोटिस जारी कर मांगा जवाब
जबलपुर•Sep 21, 2020 / 07:57 pm•
prashant gadgil
High Court of Madhya Pradesh
जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट ने राज्य सरकार सहित अन्य से पूछा कि ओबीसी छात्रों को एससी-एसटी छात्रों की तुलना में कम स्कॉलरशिप क्यों दी जा रही है? जस्टिस संजय यादव व जस्टिस बीके श्रीवास्तव की डिवीजन बेंच ने यह भी पूछा कि सरकारी व निजी कॉलेजों के छात्रों से स्कॉलरशिप के मसले पर भेदभाव क्यों किया जा रहा है? कोर्ट ने नोटिस जारी कर अनावेदकों से 22 अक्टूबर तक जवाब मांगा।
सतना जिला निवासी छात्र प्रांशु यादव की ओर से याचिका दायर की गई। अधिवक्ता बृंदाबन तिवारी ने तर्क दिया कि राज्य के निजी कॉलेजों में ओबीसी व एससी, एसटी वर्ग के छात्रों से स्कॉलरशिप के मसले में भेदभाव किया जा रहा है। एससी-एसटी वर्ग के छात्रों को बेसिक पाठ्यक्रम के तहत अधिक स्कॉलरशिप दी जा रही है। जबकि ओबीसी वर्ग को जनभागीदारी के तहत कम स्कॉलरशिप दी जा रही है। निजी व सरकारी कॉलेजों में भी ऐसी ही विसंगति सामने आ रही है। सरकारी कॉलेज में ओबीसी वर्ग को अधिक जबकि निजी कॉलेजों में कम छात्रवृत्ति मिल रही है। यहां तक कि एक ही निजी कॉलेज में ओबीसी व एससी, एसटी वर्ग के छात्रों के लिए स्कॉलरशिप के अलग-अलग मापदंड अपनाए जा रहे हैं। इस तरह की विसंगति संविधान के तहत दिए गए समता के अधिकार का हनन है। आग्रह किया गया कि ओबीसी व एससी, एसटी वर्ग को सरकारी व निजी कॉलेजों में एक समान छात्रवृत्ति प्रदान करने के निर्देश दिए जाएं। प्रारम्भिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग सचिव, आयुक्त, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग सचिव व उप संचालक, सतना कलेक्टर, रीवा कमिश्नर को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया।
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