उल्लेखनीय है कि जामुन में बरसात के पहले फल आते हैं। पहली बारिश का पानी पड़ते ही जामुन पकने लगता है। वर्षा ऋतु के शुरुआती दौर में इसका जायका घर-घर लिया जाता है। इसी तरह आम के पेड़ में बौर का आना वसंत ऋतु के आगाज का संकेत माना जाता है। प्राय: आम में जनवरी और फरवरी के महीने में बौर आती हैं। गर्मी में आम फलते हैं और देशी आम तो बारिश के पहले झले के बाद पेड़ पर ही पकते हैं। गांवों में अब भी लोग गर्मी के बाद बारिश के पहले झले का इंतजार करते हैं, ताकि आम को अचार के लिए या फिर पाल रखकर पकाने के लिए तोड़ा जाए। इधर भर ठंड में आम में बौर आना और जामुन का फलना एक अलग तरह की चर्चा का विषय है।
राम नगर निवासी श्री नेमा व उनके मित्र दिनेश रावत का मानना है कि आम के पेड़ में बिना मौसम के फूल और फल आना मौसम में आ रहे परिवर्तन का संकेत है। यह प्रकृति से छेड़छाड़ का परिणाम है। अवैध उत्खनन, पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और लगातार बढ़ रहे वायु प्रदूषण के कारण यह सब हो रहा है। वहीं कृषि वैज्ञानिक डॉ. एपी दुबे का कहना है कि यह सामान्य प्रक्रिया है। मौसम में अनियमितता के कारण कभी कभी ऐसा हो जाता है। बिना मौसम के फल या फूल पेड़ों में आ तो जाते हैं, लेकिन जल्द उनमें वो स्वाद नहीं होता। ज्यादातर फल झडक़र नष्ट भी हो जाते हैं।