काम बंद होने के बाद न पैसे थे, न वाहन चल रहे
डिंडौरी निवास के रहने वाले सूरज ठाकुर, विनोद यादव, बसंत सिंह धुर्वे, दिगपाल सिंह, मताराम ने बताया कि बिल्डिंग निर्माण से जुड़ा एक ठेकेदार 21 मार्च को उन्हें जबलपुर लाया था। 22 को वे काम किए। 23 से लॉक-डाउन के चलते काम बंद हो गया। ठेकेदार ने भी एक दिन की मजदूरी देकर हाथ खड़े कर दिए। चार दिन वे किसी तरह निकलने के लिए वाहन की आस लगाए हुए थे। जब कोई विकल्प नहीं मिला तो पैदल ही निकलने का निर्णय लिया। इनके साथ उनकी पत्नी और बच्चे भी थे।
गांव वाले रास्ते में करा रहे भोजन
पिछले दो दिनों से मंडला, डिंडौरी के रहने वाले बड़ी संख्या में मजदूर इसी तरह से लौट रहे हैं। इसमें से कई तो दो दिन से भूखे तक हैं। ऐसे में रास्ते के गांव वाले इनकी मदद को आगे आ रहे हैं। शुक्रवार को धनपुरी के सरपंच अमित शुक्ला, विमल, नाथूराम सेन और सोहन विश्वकर्मा ने इन मजदूरों को भोजन पैकेट देकर कुछ राहत दी।