नहीं बचा कॉरिडोर- जानकारों के अनुसार वन्यजीव आने जाने के लिए रास्ता तैयार कर लेते हैं। लेकिन पिछले कुछ दशकों के दौरान वन क्षेत्र के आसपास बढ़ते इंसानी दखल और वन क्षेत्रों तक हो रहे निर्माण कार्यों, रहवासी कॉलोनियों के बनने से खतरा हो गया है। डुमना के आसपास से लेकर बरगी की पहाडिय़ों पर जीसीएफ, ओएफके, ट्रिपल आईटीडीएम, सहित निजी एवं सरकारी आवास संस्थान बने हैं।
वीआइपी रोड पर नहीं है कोई पुल- डुमना वीआइपी रोड के दोनों ओर वन जंगल लगा है। ये रास्ता एयरपोर्ट तक जाता है। इस सडक़ के दोनों और जंगल होने से वन्य प्राणी बहुलता में हैं। एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए सडक़ के नीचे पुल या बोगदा जैसी व्यवस्था नहीं की गई है। ऐसे में सडक़ को क्रास करने के लिए तेंदुए सहित अन्य वन्य जीवों को सडक़ पर आना होता है। वीआइपी रोड पर फर्राटा भरते वाहनों की चपेट में आने से कई बार हिरण, चीतल मौत के घाट उतर चुके हैं।
गणना नहीं- शहर में कितने तेंदुए हैं इस बात की ठोस जानकारी वन विभाग के अफसरों को नहीं है। वन विभाग ने इनकी गणना कराने की कोशिश नहीं की। तेंदुए की निगरानी की भी व्यवस्था न होने के कारण इन्हें अपने हाल पर छोड़ दिया गया है।
इन क्षेत्रों में नजर आए तेंदुए
डुमना वीआईपी रोड
बरगी हिल्स क्षेत्र
4 टीटीआर
गोराबाजार
छिवला ग्वारीघाट
ट्रिपलआईटी
भीटा, कजरवारा
ये हैं कमियां
डुमना रोड में निकलने के लिएअंडर ब्रिज नहीं
तेदुओं को पकडऩे विशेष प्रयास नहीं
निगरानी की नहीं व्यवस्था
वन चौकियों का अभाव
यह होना जरूरी
वन क्षेत्रो में इंसानी दखल हो बंद
निर्माण कार्यों पर लगे रोक
शिकार को लेकर सख्ती जरूरी
तेंदुआ स्वच्छंद विचरण करने वाला प्राणी है। कॉरिडोर को भी सशक्त किया जाएगा। निगरानी के लिए कॉलर आईडी के विकल्प पर हम काम करेंगे।
अंजना सुचिता तिर्की, वनमंडल अधिकारी
वन क्षेत्र में लोगों की दखलंदाजी, निर्माण कार्यों को रोक लगाना बेहद जरूरी है। वन विभाग को सडक़ मार्ग पर अंडर ब्रिज बनाना चाहिए।
शकरेद्रुनाथ मुखर्जी, वन्य प्राणी विशेषज्ञ