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जबलपुर

यहां भी सुपर 30 वाले आनंद की तर्ज पर बच्चों का भविष्य बना रहे शहर के युवा

यहां भी सुपर 30 वाले आनंद की तर्ज पर बच्चों का भविष्य बना रहे शहर के युवा

जबलपुरJul 19, 2019 / 07:05 pm

abhishek dixit

Super 30

Super 30

जबलपुर. कहते हैं बच्चे भारत का भविष्य हैं, लेकिन इन आर्थिक स्थिति सही नहीं होने की हालात में यह बच्चे स्कूल शिक्षा से भी वंचित रह जाते हैं। ऐसे में इन भविष्य को तैयार करने का काम आज का वर्तमान यानी की युवा वर्ग कर रहा है। हाल ही में रीलिज हुई मूवी सुपर 30 भी एक ऐसे ही व्यक्ति आनंद पर आधारित है, जो कि जरूरतमंदों को फ्री में आइआइटी की कोचिंग के लिए तैयार करते हैं और सभी का आइआइटी में सलेक्शन हो जाता है। शहर में भी ऐसे कई युवाओं का ग्रुप काम कर रहा है, जो भी सुपर 30 मूवीज से मिलता-जुलता है। युवाओं के यह ग्रुप भले ही आइआइटी की कोचिंग नहीं पढ़ाते,लेकिन हां वे बच्चों को भविष्य में जरूर आइआइटी की परीक्षा देने के लिए तैयार कर रहे हैं। आइए जानते हैं कि शहर में किस तरह से इन युवाओं का ग्रुप शिक्षा की अलख जगाने के लिए काम कर रहे हैं।

एजुकेशन के साथ डेवलवमेंट
हे ल्प बाय हेल्प संस्था विगत कई सालों से ऐसे बच्चों के लिए निशुल्क शिक्षा देने का काम कर रही है। ग्रुप कोओर्डिनेटर विश्वकर्मा का कहना है कि इस संस्था को युवाओं के ग्रुप द्वारा इस सोच के साथ स्थापित किया था कि शिक्षा की एक मदद दूसरे की मदद बनती जाए। वर्तमान में यह ग्रुप शहर के कई हिस्सों में बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। इसके साथ ही बच्चों के लिए ओवरऑल डवलपमेंट पर भी काम कर रहे हैं।

स्कूली बच्चों को कोचिंग फैसेलिटी
शि क्षा एजुकेशन ग्रुप से जुड़ी हुई पायल राय का कहना है कि उनकी शहर में कई जगहों पर बच्चों के लिए क्लासेज लगवाई जाती हैं। उन्होंने बताया कि 5 साल पहले इस ग्रुप की शुरुआत की थी, जिसके बाद से लगातार कक्षाओं में बच्चों की बढ़त हुई है। शुरुआती दिनों में बच्चे स्कूल नहीं जाया करते थे। ऐसे में उन्हें स्कूल जाने के लिए मोटिवेट किया अब असर यह है कि हर बच्चे स्कूल जाते हैं और कोचिंग प्राप्त करने का काम शिक्षा ग्रुप के जरिए कर रहे हैं।

नर्मदा किनारे इंग्लिश मीडियम क्लास
श हर के एजुकेशन फील्ड से जुड़े पराग दीवान ग्वारीघाट में इंग्लिश मीडियम क्लास लगाते हैं। पिछले कई सालों से वे उमाघाट पर वहां रहने वाले बच्चों के लिए क्लासेज लगवा रहे हैं। असर यह है कि कभी स्कूल का मुंह तक न देखने वाले बच्चे भी इंग्लिश में बातें करते हैं। घाटों में आने वाले लोग इस बात से हैरान हो जाते हैं, जब इन घाटों और बस्तियों में रहने वाले बच्चों को इंग्लिश में बात करते देखते हैं।

क्लासरूम में लगती है बच्चों की क्लास
ट्रिपलआइटीडीएम के ग्रुप कारवां भी पिछले पांच सालों से क्षेत्र की बस्तियों में रहने वाले बच्चों को फ्री एजुकेशन देने का काम कर रहा है। इस ग्रुप के ट्रिपलआइटीडीएम के ही स्टूडेंट्स शामिल होते हैं, जो कि इस ग्रुप से जुड़कर बच्चों के लिए फ्री एजुकेशन दिया करते हैं। बच्चों के लिए एजुकेशन के साथ दूसरी एक्टिविटी का आयोजन इस ग्रुप के जरिए किया जाता है।

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