शासन-प्रशासन के पास फ्लोराइड प्रभावित लोगों की जानकारी नहीं
बस्तर जिले के बकावंड, बस्तर, बास्तानार व दरभा ब्लॉक के करीब ३२३ गांव और बसाहट फ्लोराइड प्रभावित है। पिछले दो दशकों से यहां के ग्रामीण फ्लोरोसिस बीमारी की समस्या से जूझ रहे हैं। फ्लोराइड के कहर से पूरी एक पीढि़त की जिंदगी बर्बाद हो गई। बाजवूद शासन-प्रशासन के पास फ्लोराइड प्रभावित लोगों की जानकारी नहीं है। जिसका खामियाजा आदिवासियों को भुगतना पड़ रहा है। गौरतलब है कि मार्च २०१९ में विधानसभा में बस्तर जिले में फ्लोराइड के दुष्प्रभाव से पीडि़त की जानकारी मांगी गई थी। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ने यह जवाब दिया कि पीएचई विभाग को अब तक इस प्रकार की कोई शिकायत नहीं मिली है। जबकि फ्लोराइड के दंश से सैंकड़ों आदिवासी विकालांग हो गए हैं।
फ्लोराइड प्रभावित 5 हैंडपंप अब भी चालू
बस्तर जिले के चार ब्लॉक में करीब ११४ हैंडपंप फ्लोराइड प्रभावित हैं। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने करीब १०९ हैंडपंप को बंद कर दिया है, जबकि पांच फ्लोराइड प्रभावित हैंडपंप अब भी चालू है। इसमें बकावंड ब्लॉक के सतोषा ग्राम के मारीगुड़ा, जैबेल के काड़ाकाटा और डिमरापाल के खासपारा, बस्तर ब्लॉक के तहत भानपुरी के ग्राम बाकेल में अमडीगुडा, ओंडारकोट बसाहट में फ्लोराइड प्रभावित हैंडपंप चालू है। पेयजल के लिए कोई दूसरा विकल्प नहीं होने की वजह से ग्रामीण अब भी इस हैंडपंप से पानी पी रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची प्रभावित गांव
पत्रिका के खबर प्रकाशन के बाद सोमवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम फ्लोराइड प्रभावितों की जांच के लिए ग्राम बाकेल के अमलीगुडा, कोंगालगुड़ा पहुंची। यहां पर स्वास्थ्य शिविर में करीब ७० लोगों की जांच की गई। इसमें फ्लोराइड से पिडि़त २० लोगों का इलाज के लिए चयन किया गया है। डॉक्टर ने बताया कि इन लोगों में फ्लोरोसिस बीमारी की शरुआत है। ऐसे में इनका इलाज किया जा सकता है। इसमें ८ दंात के और १२ हड्डियों से पीडि़त मरीज है।