महेंद्र कर्मा छत्तीसगढ़ कांग्रेस के नेता थे। वह 2004 से 2008 तक छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्ष के नेता थे। 2005 में, उन्होंने छत्तीसगढ़ में नक्सलियों (Naxalite) के खिलाफ सलवा जुडूम (Salwa judum) आंदोलन के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी । वह राज्य गठन के बाद से अजीत जोगी सरकार कैबिनेट में उद्योग और वाणिज्य मंत्री थे।सुकमा में कांग्रेस द्वारा आयोजित परिव्रतन रैली से लौटते समय नक्सलियों ने 25 मई 2013 को नक्सली हमले में उनकी हत्या कर दी गई थी।
कर्मा बस्तर क्षेत्र के एक जातीय आदिवासी नेता थे। उनका जन्म 5 अगस्त 1950 को दंतेवाड़ा जिले के दरबोडा कर्मा में हुआ था। उन्होंने 1969 में बस्तर हायर सेकेंडरी स्कूल, जगदलपुर से उच्च माध्यमिक की शिक्षा प्राप्त की और 1975 में दंतेश्वरी कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की।
उनके बड़े भाई लक्ष्मण कर्मा भी सांसद रहे हैं। इससे पहले, नक्सलियों ने उनके भाई पोदियाराम की हत्या कर दी थी जो भैरमगढ़ जनपद पंचायत के अध्यक्ष थे। इसके अलावा उनके 20 रिश्तेदारों को भी नक्सलियों ने मार डाला था। उनके पुत्र चविन्द्र कर्मा भी दंतेवाड़ा के जिला पंचायत अध्यक्ष थे और माओवादी की हिट लिस्ट में हैं।
कर्मा को छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी आंदोलनों के सबसे मुखर समर्थक के तौर पर जाना जाता था। 1991 में उन्होंने व्यापरियों के साथ मिलकर जन जागरण अभियान शुरू किया था लेकिन कुछ समय बाद यह आंदोलन बंद हो गया लेकिन विपक्षी पार्टी के होने के बावजूद उनके द्वारा किये गए प्रयासों की मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कभी आलोचना नहीं की। माओवादियों के खिलाफ अभियान के कारण वह हमेशा से उनके निशाने पर रहे । इसी खतरे को देखते हुए उन्हें जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की गयी थी।
25 मई 2013 को राजनितिक रैली से लौटते समय झीरम घाटी (Jhiram Ghati attack) में माओवादी हमले में कर्मा (Mahendra Karma) और नंद कुमार पटेल सहित पार्टी के कई अन्य नेताओं के साथ मारे गए। 27 मई को, नक्सलियों ने एक बयान जारी किया और हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कहा की “सलवा जुडूम (Salwa Judum) और अर्धसैनिक (CRPF) बलों को तैनात किये जाने के विरोध में उन्होंने इस घटना को अंजाम दिया है।
आपको बता दें की महेंद्र कर्मा सलवा जुडूम के संथापक थे और उन्ही के कार्यकाल में बस्तर क्षेत्र में अर्धसैनिक बलों (CRPF) को तैनात किया गया था।