साथ ही उन्होंने शहीद गुंडाधुर का हवाला देते हुए कहा कि इसके बाद वह इनके जैसे वीरों का वारिस बनकर और जल, जंगल, जमीन का वारिस बनकर रहें। नक्सलियों की दक्षिण बस्तर डिवीजन कमेटी ने यह पर्चा जारी किया है। उन्होंने गांववालों को सरकार व पुलिस का साथ न देने और नक्सल संगठन मजबूत करने नक्सलियों का साथ देने की अपील की है।
बता दें कि पिछले कुछ समय से नक्सलियों का संगठन लगातार कमजोर हुआ है। साथ ही सुरक्षाबल और नक्सलियों के युद्ध में मारे जा रहे मासूम आदिवासी भय के कारण गांव से भी पलायन कर रहे हैं। बता दें कि सरेंडर नक्सलियों ने उनकी रणनीति का लगातार पुलिस को जानकारी दे रहे हैं।
वहीं पुलिस की पहुंच बनने के बाद धीरे-धीरे ग्रामीण भी नक्सलियों संगठन दूर हो रहे है, माओवादी भय से गांव खाली होते जा रहे है जिससे नक्सलियों को मुखबिरों की कमी हो गई है। पिछले 5 सालों में लगभग 3 हजार से अधिक छोटे बड़े नक्सलियों ने सरेंडर किया है जिसमें से लगभग 150 से 200 बड़े लीडर भी हैं।
इसलिए ग्रामीणों का बदला रुख नक्सलियों के लिए काम रहे लोग यदि सरेंडर करते हैं तो उन्हें तत्काल 10 हजार की सहायता राशि, रैंक के हिसाब से पैसा, सरकारी नौकरी, जिन्हें नौकरी नही दिया जाता उन्हें लाइवलीहुड कॉलेज में ट्रेनिंग कराई जाती है ताकि वे काबिल बन सकें, सरकारी आवास या रहने की व्यवस्था के साथ इलाज की सुविधा भी मिलती है। वहीं नक्सलियों के साथ रहने पर पुलिस से लड़ाई और मुखबिरी के शक में हत्या जैसा दंश झेलना पड़ता है।