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जगदलपुर

ग्रामीण अर्थव्यवस्था का हिस्सा बना गोबर, 285 गोठानों में अब तक 4 करोड़ 45 लाख का वर्मी कम्पोस्ट का हुआ उत्पादन

Cow dung became a part of rural economy: जिस गाय के गोबर को कभी फेंक दिया जाता था, वह आज ग्रामीण अर्थव्यवस्था का हिस्सा बन चुका है। बस्तर जिले में 285 गोठान 8 हजार 269 हिताग्राहियों के लिए आमदनी का जरिया बन चुका है। समितियों के माध्यम से अब तक 4 करोड़ 45 लाख रुपए का वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन किया गया है।

जगदलपुरNov 16, 2022 / 01:58 pm

CG Desk

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File photo

Cow dung became a part of rural economy: गोठान से औसतन हर सप्ताह 60 से 70 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट किया जा रहा है। जिसका उपयोग कृषि, उद्यानिकी और वानिकी क्षेत्रों में बहुतायत स्तर पर किए जाने से जैविक खेती को भी बढ़ाया मिल रहा है। गोठानो में तीन वेरायटी में वर्मी का उत्पादन होता है। जिसमें पहला वर्मी कम्पोस्ट, दूसरा सुपर वर्मी कम्पोस्ट और सुपर प्लस वर्मी कम्पोस्ट है। किसान किफायती दाम में जिला सहकारी समितियों के माध्यम से खरीद रहे हैं। इसके अलावा विभाग कृषि विभाग, उद्यानिकी विभाग, वन विभाग, पशु धन विभाग, रेशम पालन विभाग भी खरीद रहे हैं। कृषि विभाग का कहना है कि वर्मी कम्पोस्ट की पहले लैब में टेस्टिंग होती है, फिर पेकेजिंग की जाती है।

47 हजार 840 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन
बस्तर जिले में जब से गोठानों में वर्मी कम्पोस्ट बनाया जा रहा है, तब से अब तक कुल 47 हजार 840 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन किया जा चुका है। जिसमें सुपर कम्पोस्ट 8 हजार 92 क्क्विंटल और सुपर कम्पोस्ट प्लस 181 क्विंटल शामिल हैं। इसमें कुल 39 हजार 816 क्विंटल वर्मी का बिक्री गोठान समितियों ने की है। जिसके एवज में समितियों को 3 करोड़ 80 लाख 85 हजार रुपए का आय प्राप्त हुआ है। ग्रामीणों और किसानों से गोठान समितियां प्रत्येक किलो गोबर 2 रुपए में खरीदती है और इससे वर्मी कम्पोस्ट तैयार कर 10 रुपए बेचती है।

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कृषि विभाग के उप संचालक एसएस सेवता ने बताया कि गोठानों में 8 हजार से अधिक हितग्राहियों को लाभान्वित हैं। वर्मी कम्पोस्ट की राशि सीधे समितियों को ऑनलाइन ट्रांसफर की जाती है। वर्तमान में समितियों के पास 8 हजार वर्मी का स्टॉक है। जिसे रबी की फसल के लिए किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा।

इन विभागों ने भी खरीदा वर्मी : कृषि विभाग ने 7826 क्विंटल, उद्यानिकी विभाग ने 4790 क्विंटल, वन विभाग ने 1019 क्विंटल, पशु धन विभाग ने 3 क्विंटल, रेशम पालन विभाग ने 794 क्विंटल, गोठान में 218 क्विंटल, अन्य किसानों को केसीसी करीब 10 हजार 41 क्विंटल प्रदाय किया गया है।

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