सहीं समय में फसलों की कटाई नहीं हुई तो भारी नुकसान होगा
इधर किसानों का कहना है कि अभी रबी की फसल की कटाई का मुख्य समय है। किसानों ने बताया कि मक्के की फसल भी बिना खाद पानी के बर्बाद हो रही है। यदि सहीं समय में फसलों की कटाई नहीं होती तो उन्हें भारी नुकसान होगा। मजदूर नहीं मिल रहे तो परिवार के लोग ही तोडने में लगे, कहा कम से कम घर में तो खां लें
कुछ को बेचेंगे और कुछ घर पर खाएंगे
बकावंड ब्लॉक के कई छोटे-बड़े किसान हैं जिनके यहां मजदूर नहीं आ रहे हैं। इस परेशानी की घड़ी में परिवार के लोगों ने ही बीड़ा उठाया है। वे अपने परिवार के साथ खेत में जाकर सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखते हुए सब्जी तोड़ रहीं है। उनका कहना है इसी को बेचकर जो कमाई होती उससे घर का राशन आता। लेकिन अब इसकी तुड़ाई ही नहीं होगी तो बेचेंगे कैसे और खाएंगे क्या। इसलिए परिवार भीड़ा हुआ है। कुछ को बेचेंगे और कुछ को घर पर सब्जी बना के खाएंगे। इस बार बचत के बारे में नहीं सोच रहे।
70 प्रतिशत गिरे दाम, लॉक डाउन खत्म होने तक संभावना भी नहीं
किसानों का कहना है कि लॉकड ाउन खत्म होने तक उन्हें राहत नहीं मिलेगी। मजदूर तुड़ाई के लिए और खरीददार घर से सामान खरीदने के लिए घर से निकलेगा ही नहीं तो सामान कैसे बिकेगा। सबसे बड़ा मार्केट शहर था लेकिन वहां भी पहले की तरह मांग नहीं है। यही वजह है कि अब फसल की लागत निकालना तक मुश्किल हो गया है। इस परेशानी की घड़ी में सरकार से वे किसान कर्ज माफी जैसी राहत की उम्मीद कर रहे हैं।
अब लोन चुकाने की चिंता
मनीराम बकावंड ब्लॉक के किसान हैं तीन एकड़ में मिर्ची लगाया है। वे कहते हैं कि लॉकडाउन की वजह से मांग इतनी गिर गई है कि मुनाफा तो छोडिए लागत निकालना मुश्किल हो गया है। वे इसम समय तीन लाख का लोन ले रखे थे। लेकिन ऐसे हालात में अब इसे कैसे चुकाएंगे उन्हें समझ नहीं आ रहा।
अभी भी समय, मांग बढ़े तो लागत निकलने की उम्मीद
लोकेश करवांड इलाके में पांच एक पर बैगन की खेती कर रहे हैं। उनका कहना है कि मांग है नहीं, मजदूर आ नहीं रहें। ऐसे में खेत में ही सारी सब्जीयां पड़े-पड़े खराब हो जाएंगी। उन्हें उम्मीद है कि १४ के बाद लॉकडाउन खुलेगा तो मांग बढ़ेगी। किसी तरह लागत निकल जाएगी। नहीं तो बड़ा नुकसान होना तय है।
इतने गिर गए दाम कि अब गांव वालों को मुफ्त सब्जियां दे रहे
बकावंड ब्लॉक के ही प्रफुल्ल चंद्राकर ने बताया कि उनके यहां १५ एकड़ में तीन अलग-अलग सब्जियां लगाकर रखे थे। सोचा था मुनाफा होगा तो ट्रैक्टर खरीदेंगे। लेकिन मार्केट से मांग आ रही है न खेत में मजदूर। आलम यह है कि सब्जियां किसी के काम आ जाएं इसलिए जरूरतमंद लोगों तक इसे परिवार तोडकर बेच रहा है। बड़ा नुकसान तो तय है।