नक्सली लीडर निर्मला से विवाद के बाद किया था सरेंडर, नक्सली मोर्चों पर बहादुरी का इनाम दिया सरकार ने
जगदलपुर•Mar 27, 2020 / 08:48 am•
Badal Dewangan
नक्सली लीडर से विवाद के बाद आज इंस्पेक्टर बन चुका है आत्मसमर्पित बदरू, नक्सली संगठन के खोले पूरे राज
दंतेवाड़ा- देश के नक्सल आंदोलन के इतिहास में सरेंडर के बाद पहली बार 5 आऊट आफ टर्न प्रमोशन पाकर पुलिस इंस्पेक्टर बनने वाले पूर्व नक्सली संजय पोटाम उर्फ बदरू का मानना है कि नक्सलवाद अब सिर्फ छलावा बनकर रह गया है। बस्तर के जो लोग नक्सली बनकर जंगलों में घूम रहे हैं, उनमें से ज्यादातर को माओवाद क्या है, ये नहीं पता। सिर्फ दबाव में नक्सली संगठन के साथ जुड़े और फिर गहराई से इसमें धंसते चले गए। ऐसे लोगों को भी सरेंडर कर मुख्य धारा में लौटना चाहिए। छत्तीसगढ़ सरकार सरेंडर करने वाले नक्सली कैडर को अब इतना बेहतर पैकेज दे रही है जिससे वे शहर में रहकर इतना बेहतर जीवन जी सकते हैं जितना गांव में रहकर भी नहीं जी सकते। अपने परिवार और बच्चों का भविष्य बेहतर बना सकते हैं। कभी नक्सलियों के दरभा डिवीजन का डीवीसी सेक्रेटरी रह चुके संजय पोटाम उर्फ बदरू ने वर्ष 2013 में दंतेवाड़ा एसपी के समक्ष सरेंडर किया। दशकभर से ज्यादा समय तक नक्सली संगठन में रहकर आतंक मचाने के बाद डीवीसी सेक्रेटरी निर्मला से उसके गहरे मतभेद हुए और संगठन से उसका मोहभंग हो गया। सरेंडर के बाद गोपनीय सैनिक के तौर पर उसने नक्सल विरोधी अभियानों में पुलिस के साथ मिलकर कई नक्सली कैंप नेस्तनाबूत किए। नक्सलियों की रणनीति व अन्य तौर तरीकों से अच्छी तरह वाकिफ होने से पुलिस को को काफी मजबूती मिली। जिससे 7 साल के भीतर दंतेवाड़ा पुलिस को कई बड़ी सफलताएं मिली। अब वह नक्सलियों की हरी या काली वर्दी नहीं पहनाता बल्कि फोर्स की कामाफ्लॉज वर्दी पहनकर नक्सली विरोधी ऑपरेशनों में बढ़.चढक़र हिस्सा लेता है।
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