कोई भी नीतिगत निर्णय नहीं लिया गया
जगदलपुर विधायक रेखचंद जैन का कहना है कि जब बैठक में सदस्य विधायक शामिल ही नहीं हुए तो बैठक कैसे हो गई, उसमें निर्णय कैसे लिए गए? रेखचंद ने बैठक को अवैध करार दिया है। उनका कहना है कि विश्वविद्यालय प्रबंधन को विधायक की गैरमौजूदगी में नीतिगत निर्णय लेने का अधिकार ही नहीं है। बस्तर विश्वविद्यालय के कुलपति एसके सिंह ने इस मामले पर कहा कि आचार संहिता के दौरान बैठक हुई यह बात सही है, लेकिन बैठक के एजेंडे की सूचना चुनाव आयोग को दे दी गई थी। बैठक लगातार चुनावी आचार संहिता की वजह से टल रही थी। दीक्षांत समारोह के आयोजन समेत अन्य छात्र हित से जुड़े निर्णयों पर चुनाव आयोग की अनुमति मिलने पर ही हमने बैठक की। बैठक में कोई भी नीतिगत निर्णय नहीं लिया गया है।
विधायकों के मनोनयन में देरी पर भी हो चुका है विवाद
का र्यपरिषद में बस्तर जिले के ४ विधायकों को सदस्य के रूप में मनोनीत किया गया है। सरकार गठन के ६ महीने बाद भी इनका मनोनयन नहीं हो पा रहा था। इस पर भी विधायकों और विश्वविद्यालय प्रबंधन के बीच टकराव की स्थिति बन चुकी है। उस वक्त विधायकों ने विधानसभा सचिवालय की तरफ से मनोनयन के संबंध में जारी आदेश की कॉपी जारी कर विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए थे। इस तरह देखें तो विधायकों और विश्वविद्यालय प्रबंधन के बीच टकराव की स्थिति बनती रही है।