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जगदलपुर

शोध करने आई थी बस्तर, लेकिन…गोंड समुदाय की बुधरी से मिली ऐसी ममता कि बनाया मृतक स्तंभ

Fine Art & Tattoo Art Bastar: गोंड आदिवासी समुदाय के लोगों ने महिला के देहांत पर किसी गैर-आदिवासी युवती को मृतक स्तंभ बनाने की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी। आसना स्थिल बादल एकेडमी की सह प्रभारी, फाइन आर्ट और गोदन कला में पारंगत हैं। इन्हें ही यह जिम्मेदारी मिली।

जगदलपुरJan 29, 2023 / 02:57 pm

CG Desk

Bastar Art

Bastar Art File photo

Fine Art & Tattoo Art Bastar: बस्तर अपने आप में काफी अनूठा है। यहां क़ि परम्परा के साथ यहां के लोग भी दिल के सच्चे होते हैं। माथे पर मेहनत की लकीर, चेहरे पर निश्छल मुस्कान और दिल में सभी लोगों के लिए अपनापन। तभी तो गोंड आदिवासी समुदाय(Gond tribal community) के लोगों ने महिला के देहांत पर किसी गैर-आदिवासी युवती को मृतक स्तंभ बनाने की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी। आसना स्थिल बादल एकेडमी(Asana Sthil Co-incharge of Badal Academy) की सह प्रभारी, फाइन आर्ट और गोदन कला में पारंगत हैं। इन्हें ही यह जिम्मेदारी मिली। आइए जानते हैं कहानी उन्हीं की जुबानी से:

आसना स्थिल बताती हैं, “मैं तीन साल पहले बिलासपुर से अपनी पढ़ाई पूरी कर बस्तर शोध के लिए आई। यहां की संस्कृति को करीब से देखना चाहती थी इसलिए आदिवासी समाज के बीच जाना शुरू किया। इस बीच शोध से जुड़े काम के लिए बस्तर(Bastar) जिले के गुडिय़ापदर गांव भी जाना होता था। यहां कोसा बारसे के परिवार से मेरा घनिष्ठ संबंध हो गया।”

कोसा बारसे(Kosa Barse) की पत्नि बुधरी बाई आसना स्थिल(Asana Sthil) को अपनी बेटी स्वरूप मानने लगीं थी, परिवार के समस्त आयोजनों में भी वे बतौर परिवार के सदस्य उपस्थित रहती। इसी दौरान बुधरी कैंसर से ग्रसित हो गईं और दो वर्षों तक लगातार इलाज और शारीरिक पीड़ा सहते हुए 4 जनवरी 2023 को उनका देहांत हो गया।

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चूंकि मृतक स्तंभ इस समुदाय में आवश्यक प्रथा है और इसे बनाने का निर्णय लिया गया तो परिवार के लोगों ने आसना स्थिल(Asana Sthil) से कहा कि आप अच्छी चित्रकारी करती हो और आपने बुधरी के अंतिम दिनों को करीब से देखा इसलिए आप ही स्तंभ में चित्रकारी करो। यह सुनकर उनकी आंखे छलक गईं क्योंकि बुधरी गोंड समुदाय से आती थीं और बस्तर में पहली बार कोई गैर आदिवासी समाज का व्यक्ति किसी के मृतक स्तंभ पर रंग भरने वाला था, जो कुछ हो रहा था वह अकल्पनीय था।

बुधरी के जीवन को रंगने की कोशिश
वे(Asana Sthil) कहती हैं, मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था बस्तर के जिस आदिवासी समुदाय पर शोध कर रही थी वह मुझे यह दर्जा दे देगा। पत्थर की बड़ी बड़ी शिला या लकड़ी के चौड़े तख्त बनाकर मृत व्यक्ति की जीवनी का चित्रांकन या गोदाई की जाती है जो मैंने किया मैंने बुधरी के जीवन को रंगने की पूरी कोशिश की।

पेन पुरखा से आवश्यक अनुमति लेकर दी जिम्मेदारी
परिवार के लोगों ने सामाजिक बैठक कर ग्राम देवी गुडिय़ापदरिन, कालापदरिन, देवी डोकरा,गमरानी एवं पेन पुरखा से आवश्यक अनुमति लेकर आसना स्थिल (Asana Sthil) को स्तंभ पर चित्रांकन का आदेश दिया। बुधरी जा चुकी हैं लेकिन उनके मृतक स्तंभ में उनकी यादें जिंदा हैं। वे अब भी उनके स्तंभ के सामने बैठकर उनके स्नेह और दुलार को याद करती हैं। वे कहती हैं, कभी-कभी लगता है मेरा बुधरी से तीन साल पहले क्या रिश्ता था जो उनके परिवार ने मुझे इतनी बड़ी जिम्मेदारी दे दी। शायद यही बस्तर(Bastar) के आदिवासियों का प्रेम है, वे निश्छल हैं, उनका मन पवित्र है। उनके बीच होना जीवन का सबसे कीमती पल है।

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