वार्ड में धीमी गति से शुरूआत : शहर के 48 वार्ड के वासियों के लिए मतदान करने नजदीकी केंद्र बनाए गए थे। यहां प्रमुख दलों के बूथ एजेंट तैनात थे। इसके अलावा अन्य कार्यकर्ता मतदाताओं के घरों में सीधे संपर्क कर उनसे अपने पक्ष में मतदान करने की अपील करते रहे। सुबह हल्की ठंडक होने की वजह से आठ बजे मतदान की प्रक्रिया धीमी गति से चली। इसके बाद दोपहर होते होते मतदाता केंद्रों की ओर पहुंचते रहे। तीन बजे के बाद मतदान करने में एकाएक तेजी आ गई। कई केंद्रों में तय समय से बाद भी मतदाता कतार में होने की वजह से यहां उन्हें सात बजे तक मतदान करने दिया गया। इधर बूथ के आसपास चुनावी पार्टियों के समर्थक भी ऐसे लोगों को केंद्र के भीतर दाखिल करवाने मशक्कत करते रहे।
प्रत्याशी भी पहुंचे वोटिंग करने
भाजपा प्रत्याशी संतोष बाफना, कांंग्रेस प्रत्याशी रेखचंद जैन समेत प्रमुख दल व निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी अपने अपने नजदीकी बूथ में जाकर वोटिंग की। ये सभी अपने समर्थकों के साथ मतदान करने पहुंचे थे। मतदान के बाद वे अपने बूथ एजेंटों से भी मिलने गए थे। हालांकि कुछ जगह जनसंपर्क नहीं होने से मतदाताओं ने प्रत्याशियों के प्रति नाराजगी भी दिखाई।
76 की शहादत के बाद 71 ने डाले वोट
बस्तर के धुर माओवादी इलाके चिंतलनार इलाके में पहली बार 71 लोगों ने मतदान किया। यहां के मुकरम में बने बूथ में सोमवार को माओवादियों के भय से दूर संगीनों के साये में मतदाता पहुंचे और अपने अधिकारों का प्रयोग किया। दोपहर होते होते यहां 77 लोगों ने मतदान किया। गौरतलब है कि यह वही इलाका हैं, जहां देश की सबसे बड़ी माओवादी घटना जिसे मुकरम की घटना कहते हैं, उसे अंजाम दिया था। इसके बाद से यहां मतदान में बमुश्किल दहाई का आंकड़ा छुआ। इतना ही नहीं इसके आस पास के इलाके में भी दो दशक से शून्य या दहाई के आंकड़े तक के ही वोट पड़े।
सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक मतदान का प्रतिशत
विधानसभा 10 बजे 12 बजे 4 बजे 5 बजे
बस्तर 7.00 17.00 58.00 70.00
जगदलपुर 7.00 15.00 54.00 65.00
चित्रकोट 6.00 15.00 57.00 71.00
कौन है बदरन्ना
बद्ररन्ना ने 1987 में माओवादी संगठन से जुड़े थे। संगठन में ही इनकी शादी एक महिला माओवादी से हुई। सन 2000 में इन दोनों ने ही माओवाद से किनारा कर मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया था।
लगाए जाने लगे कयास
इधर दोपहर के बाद मतदान के प्रतिशत हासिल करने प्रत्याशियों के समर्थक व जागरुक मतदाताओं में होड़ लगी रही। वे प्रत्येक केंद्र में जाकर मतदाताओं की संख्या पूछते रहे। शाम तक स्थिति कुछ साफ होने की वजह से घटत- बढ़त के कयास लगने लगे थे। चौक- चौराहों में मतदान के अन्य आंकड़े से लोग प्रमुख प्रतिद्वंदियों के प्रति रूझान की भी अलग -अलग भविष्यवाणी करते नजर आए।