पॉलिथीन का नहीं करें प्रयोग मानवता संस्था के सदस्यों ने बताया कि पॉलिथीन के प्रयोग से पर्यावरण को हो रहे नुकसान से लोगों को जागरूक करने इसके प्रयोग नहीं करने की समझाइश के साथ चार साल में 7000 से अधिक कपड़े के थैले वितरित कर चुके हैं। इसके अलावा मानवता की टीम बर्तन बैंक के माध्यम से जरूरतमंद लोगों को पार्टी अथवा अन्य समारोहों के लिए मुफ्त में स्टील और फाइबर के बर्तन उपलब्ध करा रही है। इस संस्था द्वारा यह सेवा 2019 से किया जा रहा है।
रिटायरमेंट के बाद शुरू हुआ सफर मानवता संस्था की अवधेश शुक्ला ने बताया की इस संस्था की शुरूआत 2019 में संस्था के वरिष्ठ सदस्यों की रिटायरमेंट होने के बाद हुई। उन्होंने कहा कि अपने सेवा काल के दौरान ही इस संस्था के कई सदस्यों ने सामाजिक कार्यों में रुचि लेते हुए सर्वप्रथम शहर में पॉलीथिन के बढ़ते प्रयोग से प्रदूषण व अन्य दुष्परिणाम को देखते हुए लोगों को जागरूक करना शुरू किया। इस संस्था के माध्यम से बर्तन बैंक व कपड़ा बैंक का स्थापना कर लोगों को निशुल्क वितरण जा रहा है।
पौधरोपण के बाद बरते निगरानी संस्था के सदस्यों ने बताया कि मानवता संस्था प्रत्येक वर्ष बरसात के दौरान स्वयं के खर्च से शहर सहित आसपास के दर्जनों गांवों में पौधों का रोपण व उनका देखभाल करती है। इसके अलावा लोगों को पौधों का नि:शुल्क वितरण कर पर्यावरण बचाने पौधे लगाकर देखभाल करने की आग्रह करती है। इस संस्था द्वारा लगाये जाने वाले पौधों को निगरानी के लिये सदस्यों द्वारा टीम बनाई गई है। संस्था के सुहानी शुक्ला का कहना है कि अपने आसपास के लोगों को पौधे गिफ्ट करना सबसे बड़ा पुनीत कार्य है। अब कोशिश है कि लोगों को उनकी पसंद के अनुरूप पौध देंगे ताकि वह मन लगाकर उसकी देखरेख भी करेंगे।
सेवा और समर्पण में 50 से अधिक सदस्य मानवता संस्था के नाम से एक छोटी से शुरूआत ने आज विशाल आकार ले लिया है। इस संस्था में सभी आयु वर्ग के सेवाभावी लोग जुड़े हैं। खास बात यह है कि इस संस्था से जुड़े लोग जो रिटायरमेंट के बाद घर बैठने के बजाय सक्रिय रहकर समाजसेवा में जुटे रहते हैं। टीम में युवा सदस्य व गृहणियां भी शामिल हैं।
शिक्षा और स्वास्थ्य के साथ लाचार की भी कर रहे मदद मानवता संस्था अपने नाम के अनुरूप शहर व आसपास के लोगों के शिक्षा, स्वास्थ्य के साथ ही गरीब और लाचार लोगों की सहायता के लिये काम कर रही है। संस्था के सदस्यों ने बताया कि मानवता के द्वारा गरीब बच्चों को छात्रवृत्ति, किताब और फीस की व्यवस्था करती है। इसके साथ ही किसी असहाय की इलाज के लिये भी मदद का हाथ बढ़ाती है। समय समय पर वृद्धजनों और मजदूरों का सम्मान भी करती है।