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जगदलपुर

दंतेवाड़ा उपचुनाव में ग्रामीण और छोटे कार्यकर्ताओं के बीच क्यों है भय का माहौल, जानिए क्या है कारण

Dantewada Bypoll : चुनाव (Dantewada by-election) के दौरान गांव-गांव पहुंचकर कार्यकर्ताओं (Party workers) और सभा में शामिल होने वाले ग्रामीणों (villagers) की सुरक्षा (Security) के लिए ठोस खाका नहीं है।
 
 

जगदलपुरSep 02, 2019 / 03:25 pm

Badal Dewangan

दंतेवाड़ा उपचुनाव में ग्रामीण और छोटे कार्यकर्ताओं के बीच क्यों है भय का माहौल, जानिए क्या है कारण

दंतेवाड़ा उपचुनाव में ग्रामीण और छोटे कार्यकर्ताओं के बीच क्यों है भय का माहौल, जानिए क्या है कारण

दंतेवाड़ा में उपचुनाव होने हैं। एेसे में पुलिस ने यहां जनप्रतिनिधियों और बूथों की सुरक्षा में कहीं भी चूक नहीं करना चाहती। इसे देखते हुए ही पुलिस ने पूरा प्लान तैयार कर रखा है। लेकिन यह प्लान केवल बूथ और जनप्रतिनिधियों के लिए ही है। एेसे में चुनाव में गांव-गांव तक पहुंचकर पार्टी का झंडा उठाने वाले कार्यकर्ताओं और उनकी सभाओं में जाने वाले ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस खाकाछोटे कार्यकर्ताओं के बीच भय का माहौल
गौरतलब है कि एेसे में जब चुनाव प्रचार के दौरान प्रत्याशी अंदरूनी इलाकों तक पहुंचता है तो उसके लिए आरओपी व सुरक्षा व्यवस्था पूरी रहती है। लेकिन जब उसी पार्टी का कार्यकर्ता चुनाव प्रचार के लिए इन इलाकों में पहुंचता है तो उसके लिए कोई सुरक्षा का प्रावधान नहीं है। वहीं इनकी सभाओं में पहुंचने वाले ग्रामीणों की वाापसी के बाद क्या होगा। इसका भी कोई प्लान नहीं है। माओवादी चुनाव का बाहिष्कार करते हैं, उनके आसान शिकार यह गांव के ग्रामीण और पार्टी के छोटे कार्यकर्ता होते हैं। गौरतलब है कि [typography_font:14pt;” >दंतेवाड़ा के पूर्व व दिवंगत नेता भीमा मंडावी की माओवादियों ने हत्या कर दी थी इसलिए उपचुनाव हो रहे हैं। जब विधायक को माओवादी निशाना बना रहे हैं तो छोटे कार्यकर्ताओं के बीच भय का माहौल है।

4 को नामांकन जमा करने के बाद 5 सितंबर से शुरू होगा चुनाव प्रचार
दंतेवाड़ा विधानसभा में कांग्रेस, सीपीआई और जकांछ ने अपने-अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। सिर्फ भाजपा का इंतजार है। लेकिन पार्टी सूत्रों की माने तो कांग्रेस और भाजपा अंतिम दिन ४ सितंबर को नामांकन दाखिल करेगी। ५ सितंबर से प्रचार शुरू होगा। माओवादियों का गढ़ माने जाने वाले दंतेवाडा मे शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव संपन्न कराना पुलिस के लिए सबसे बडी चुनौती होती है। खासकर प्रचार प्रसार के दौरान जनप्रतिनिधियो की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। हाल ही मे हुए लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान ही माओवादियों ने उन्हें निशाना बनाया था, इसलिए प्रत्याशियों की सुरक्षा पुलिस के और भी चुनौतीपूर्ण हो जाती है।

जनप्रतिनिधियों को प्रचार के दौरान विशेष सुरक्षा, अंदरूनी इलाकों के लिए निर्देश भी
लोकसभा में विधायक भीमा मण्डावी की हत्या जैसीं कुछ घटनाएं हुई थीं। इसे देखते हुए उपचुनाव में जवानो के द्वारा सतर्कता बरती जा रही है। इसलिए जनप्रतिनिधियों को विशेष तौर पर सुरक्षा दी जाएगी। अंदरूनी क्षेत्रो मे प्रचार-प्रसार को लेकर खास सतर्कता बरतने के निर्देश भी दिये गए हैं। दंतेवाड़ा के संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती के लिए चुनाव आयोग से अतिरिक्त बलों की मांग की है।

12 हजार जवानों की मौजूदगी में होगा उपचुनाव
दंतेवाड़ा एसपी अभिषेक पल्लव ने बताया कि दंतेवाड़ा में वर्तमान में सीआरपीएफ की ३४ कंपनियां और जिला बल के 2000 जवानों समेत करीब छह हजार जवान मौजूद हैं। लेकिन उपचुनाव को देखते हुए ६० कंपनी यानी की 6000 हजार और जवानों की मांग की गई है। यानी यदि मंजूरी मिल जाती है तो दंतेवाड़ा उपचुनाव १२ हजार जवानों की मौजूदगी के बीच होगा। जिससे जनप्रतिनिधियों, चुनाव दल समेत अन्य लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। उन्होंने कहा कि यही जवान ग्रामीण और पार्टी कार्यकर्ताओं की सुरक्षा भी करेंगे।

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