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जगदलपुर

लॉकडाउन में भी बिचौलियों की चांदी, किसानों से कौडिय़ों के भाव खरीद सब्जियों को ग्राहकों तक पहुंचते जानिए कैसे बढ़ जाते है कई गुना दाम

खेतों में कीमत- मिर्ची 3, लौकी 3, पत्तागोभी 4 रुपए किलो, ग्राहक चुका रहे- मिर्ची 25, लौकी 18, रु. किलो

जगदलपुरApr 25, 2020 / 05:47 pm

Badal Dewangan

लॉकडाउन में भी बिचौलियों की चांदी, किसानों से कौडिय़ों के भाव खरीद सब्जियों को ग्राहकों तक पहुंचते जानिए कैसे बढ़ जाते है कई गुना दाम

लॉकडाउन में भी बिचौलियों की चांदी, किसानों से कौडिय़ों के भाव खरीद सब्जियों को ग्राहकों तक पहुंचते जानिए कैसे बढ़ जाते है कई गुना दाम

जगदलपुर। लॉकडाउन में जहां छोटे से लेकर बड़े तक सभी उद्योग धंधे बंद हैं। किसानों के उपजे सब्जियों का लागत नहीं निकल रहा है। उनकी उपज को इतने कम कीमत में लिया जा रहा है कि लागत तो छोडि़ए वह सब्जी तुड़वाई की मजदूरी तक निकालना मुश्किल हो गया है। और वे लाखों का नुकसान उठाना पड़ रहा है। ऐसे में इन्हीं किसानों की उपज का काम कर बिचौलिए लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं। लॉकडाउन में भी इन बिचौलियों का धंधा धड़ल्ले से चल रहा है। नतीजतन कौडिय़ों के भाव में किसानों की उपज खरीदने के बाद भी इसका फायदा ग्राहकों को नहीं मिल रहा है। उन्हें

कई गुना अधिक दाम देकर इन सब्जियों को खरीदना पड़ रहा है
बुधवार को किसानों के खेत से लेकर सब्जी मंडी में थोकए खुदरा व कालोनियों में बिकने वाली सब्जियों के दामों पर पत्रिका की पड़ताल में ये तथ्य सामने आए। बता दें कि जिले में सबसे बड़ी सब्जियों की मंडी संयज बाजार है। लेकिन यहां भी किसानों के खेत से खरीदकर यहां तक सब्जी लाने का जिम्मा बिचौलिए उठाते हैं। यह बिचौलिए खेत में ही किसानों की उपज का सौदा कर लेते हैं। खेतों में इन दिनों सब्जियों का भाव काफी कम है। लॉकडाउन के दिनों से सब्जियों के भाव लगातार गिर रहे हैं। हरी सब्जियों का दाम कम होने से किसानों को कोई फायदा नहीं हो रहा है। किसान परेशान हैं कि उसकी लागत भी पूरी नहीं हो रही। लेकिन खेत में कौडिय़ों के भाव में बिकने वाली ये सब्जी कुछ ही दूर रिटेल मार्केट में पहुंचते.पहुंचते कई गुना महंगी हो जाती हैं।

किसान की गोभी की मंडी में खरीद 10-12 रुपये किलो
बकावंड में 20 साल से सब्जी उगाने वाले किसान श्रेयस ने बताया कि वे अपनी गोभी 20.25 रुपये किलो बिक रही है। यदि गोभी 15 रुपये किलो से कम बिकती है तो लागत भी नहीं निकल पाती है। इसके अलावा पालक भी 10 रुपये किलो से ज्यादा में नहीं बिक रहा है। जबकि बाजार में इसकी 60 रुपये किलो तक की कीमत वसूली जा रही है। ऐसे ही हालात बैंगन के हैंए बैंगन किसान से 10 रुपये किलो में खरीदा जा रहा हैए लेकिन खुदरा रेट 30 तक पहुंच जाता है।

सब्जी मंडी और कॉलोनियों के रेट में भारी अंतर
युवा किसान हिम्मत भानुशाली की मिर्ची यहां से महाराष्ट्र तक जाती है। लेकिन इस साल लॉकडाउन की वजह से उनको भारी नुकसान उठाना पड़ा है। उन्होंने बताया कि उन्होंने पांच एकड़ में मिर्ची लगाई थी। लेकिन इसकी कीमत इस बार महज 3 रुपए किलो मांगी जा रही है। उन्होंने बताया कि इतने रुपए में देने से अच्छा है कि मिर्ची को तोड़े ही ा। नहीं तो मजदूरों की मजदूरी तक नहीं निकलेगी। हालांकि जब इसी मिर्ची की शहर के बाजारों में जाकर रेट पता किया गया तो यहां 25 रुपए किलो तक मिल रहा है। पडताल में पता चला कि यही मिर्ची ग्राहकों को 50 रुपए किलो तक बेची गई है। लेकिन किसानों से इससे अधिक दर में सब्जियां नहीं खरीदी गई।

कीमतें नहीं मिलने से किसानों ने खेत में ही छोड़ दी सब्जी
किसानों की इस कदर हालत खराब है कि उनके द्वारा उगाए गए फसलों की लागत निकालना तो छोडि़ए फसलों को तोडऩे से जो खर्च आएगा वह तक निकालना मुश्किल हो गया है। यही वजह है कि हिम्मत ने अपने खेत में ही मिर्ची और पत्तागोभी को छोड़ दिया है। ताकि और नुकसान न उठाना पड़े। हिम्मत बताते हैं कि इस बार लॉकडाउन की वजह से उनका पूरा सीजन खराब हो गया। लाखों रुपए का नुकसान हुआ है। अब अगली फसल करनी है कि नहीं इस पर चर्चा चल रही है। वहीं नई फसल को लेकर पूंजी जुटाने की परेशानी भी बताई।

किसान व उपभोक्ता पर सबसे ज्यादा मार
सब्जी उत्पादक किसान इसलिए परेशान हैं कि उन्हें उचित कीमत नहीं मिल रही है। तीन माह में सब्जी तैयार करने के दौरान खाद व बीज महंगे दामों में खरीदकर दिनरात मेहनत के बाद भी कीमत पूरी न मिले तो किसानों का दर्ज झलक जाता है। लेकिन इस कम दाम का फायदा ग्राहक को भी नहीं मिल रहा। सबसे ज्यादा मार उपभोक्ता पर पड़ रही है। किसान के बेचे हुए दाम से छह गुना अधिक पैसे उसी फसल के ग्राहकों को खरीदने पड़ रहे हैं।
किसानों की मांग- उनकी सब्जियों की खरीदी का भी न्यूनतम दर हो तय

बुरी तरह नुकसान झेल रहे किसानों से जब पत्रिका ने बात की तो उन्होंने प्रशासन से उनके फसल के न्यूनतम दर निर्धारित करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान लोगों के साथ ठगी न हों इसलिए प्रशासन ने सभी सब्जियों से लेकर अन्य सामानों के दाम तय कर दिए। जिससे कम दाम पर ही दुकानदारों को सामान बेचना था। ठीक इसी तरह किसानों के लिए भी उनकी उपज का न्यूनतम दर तय होनी चाहिए।

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