क्या कहते हैं मिर्च उत्पादक किसान- ग्राम बोरगांव, जुगानी कैंप एवं लंजोड़ा सहित आसपास के मिर्ची उत्पादक किसान बिपुल जोददार 07 एकड़, देवाशीष मंडल 02 एकड़, गोपी राय 03 एकड़, विश्वजीत परामानिक 02 एकड़, जुगानी कैंप तारक बाला 05 एकड़, जयंत मंडल 07 एकड़, मृत्युंजय शील 02 एकड़, विनय राय 03 एकड़, लंजोड़ा शितल वासनिकर 09 एकड़, ने बताया कि वे प्रतिवर्ष मिर्च की खेती करते हैं, इस वर्ष भी सभी ने खेत मे मिर्च की फसल ली है। इससे पहले 2 वर्षों तक लॉक डाउन के कारण हमारी फसल की बिक्री नहीं होने से काफी नुकसान हुआ, और इस वर्ष ब्लैक थ्रिप्स नामक कीट के आक्रमण से हमारी फसलों को नुकसान हो रहा है। मिर्च की फसल को बचाने के लिए हमनें लाखों रुपये की दवाइयों का छिड़काव किया है, लेकिन कोई भी दवा ब्लैक थ्रिप्स से बचाव में कारगर साबित नहीं हो रही है। हमने कृषि विज्ञान केन्द्र एवं संबंधित विभाग के सक्षम अधिकारियों को सूचना दिया था, अधिकारी निरीक्षण के लिए भी हमारे खेत आये थे लेकिन अब तक उनके द्वारा इस समस्या का कोई समाधान नहीं हो पाया।
क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक– वर्तमान में कोंडागांव ज़िले में मिर्च के फसल पर ब्लेक थ्रिप्स के संक्रमण पर कृषि विज्ञान केंद्र कोंडागॉव ने कीट विज्ञान विशेषज्ञ डॉ शक्ति वर्मा कृषि विज्ञान केंद्र, धमतरी से सलाह ली, इस विषय पर डॉ वर्मा ने बताया कि
ब्लैक थ्रिप्स (थ्रिप्स पर्विस्पिनस) मुख्यतः विदेशी कीट है, जिसका प्रकोप थाइलैंड, आस्ट्रेलिया, स्पेन, नीदरलैंड, ग्रीस, फ्रांस इत्यादि देशों में अत्यधिक होता है। भारत में इस कीट का पहला मामला सन 2015 में पपीता पर देखा गया बाद में इसका प्रकोप गुलाब तथा सब्जियों में देखा गया। ब्लैक थ्रिप्स एक बहुमुखी कीट है जो मिर्च, राजमा, बरबटी, बैंगन, पपीता वाली मिर्च, आलू, तथा स्ट्राबेरी की फसल को अत्यधिक हानि पहुंचाता है। छत्तीसगढ़ तथा आंध्रप्रदेश में भी ब्लैक थ्रिप्स का प्रवेश हो चुका है जहां यह मिर्च के साथ आलू, बैंगन, शिमला मिर्च तथा फूलों की व्यावसायिक फसलों को नुकसान पहुंचा रही है।
जीवनचक्र तथा क्षति की प्रकृति :- ये अत्यंत छोटे कीट 1 मिमी लंबे होते है । इसमे नर पीले रंग के होते है । इस कीट की चार अवस्थाये अंडा, शिशु, प्युपी तथा वयस्क होते है । सम्पूर्ण जीवन चक्र 14 दिनों का होता है ।
हानि– इस कीट के वयस्क तथा शिशु दोनों फसलो की पत्तियों के उपरी सतह को खुरचकर निकले जूस एवं ऊतक के मिश्रण को खाते है। क्षति से निर्मित स्थल भूरे या काले रंग की हो जाती है। क्षति से पत्तिया विकृत, काली एवं फूल बदरंग हो जाते है। ग्रसित पत्तिया ऊपर की ओर मुड़ जाती है एवं भुरभुरी हो जाती है ।
समन्वित प्रबंधन :-
फसल चक्र अपनाएं। खरपतवार मुक्त खेती करे। संतुलित उर्वरको का उपयोग करे।प्रभावित पौधों को नष्ट करे। रासायनिक नियंत्रण :– प्रकोप दिखाई देते ही निम्न दवाओ का छिडकाव करे –
स्पिनेटोरम 11.7% SC को 190 मिली/एकड़। फिप्रोनिल 5% SC को 350 मिली/एकड़। डाइफेन्थूरोन 50%WP को 240 ग्राम/एकड़। सायन्ट्रेनिलीप्रोल 10.26% OD का प्रयोग कर सकते हैं।