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जगदलपुर

जानें: बस्तर में सीएम के इशारे पर ऐसा क्या हो रहा जिसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताया जा रहा

प्रधानमंत्री आवास घोटाले में अब तक नहीं हुुई पार्षद पर एफआईआर

जगदलपुरFeb 09, 2022 / 11:04 pm

Akash Mishra

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सीएम भूपेश बघेल

जगदलपुर। बस्तर में पिछले 15 दिनों से सियासी पारा चढ़ा हुआ है। यहां की एक कांग्रेसी पार्षद पर आरोप लगा कि उसने अपने वार्ड के 40 लोगों से पीएम आवास दिलवाने के नाम पर 25-25 हजार रुपए लिए हैं। मामला खुला तो बीजेपी पीडि़तों के साथ आ गई और पार्षद कोमल सेना पर एफआईआर की मांग करने लगी। एफआईआर नहीं हुई तो धरने पर बैठ गई। पिछले १६ दिनों से एफआईआर की मांग को लेकर जगदलपुर में बीजेपी का धरना चल रहा था जिसे राज्यपाल से मिले आश्वासन के बाद एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया गया है। इधर अब इस मामले में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा कि यह सब कुछ प्रदेश के सीएम भूपेश बघेल के इशारे पर हो रहा है। यह लोकतंत्र के लिए खतरा है। बस्तर में जो आवास घोटाला हुआ है उसकी जांच को लेकर कुछ भी नहीं हो रहा है। हमारे कार्यकर्ता लोकतांत्रिक ढंग से प्रदर्शन कर रहे हैं तो उन पर पुलिसिया कहर बरपाया जा रहा हैै। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि कांग्रेस के कार्यकर्ता सत्ता के आनंद में मस्त है। पूर्व मंत्री व वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश की सरकार दमनकारी नीतियों का सहारा लेकर हमारे कार्यकर्ताओं को प्रताडि़त कर रही है। बस्तर में खौफ की सरकार चल रही है और सारा रिमोट कंट्रोल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के हाथ में है। पूर्व मंत्री व भाजपा प्रदेश प्रवक्ता केदार कश्यप ने कहा कि कांग्रेस की पहली प्राथमिकता भ्रष्टाचार करो, दूसरी प्राथमिकता भ्रष्टचारियों को बचाओं व तीसरी प्राथमिकता पुलिस के मार्फत लोकतांत्रिक प्रक्रिया से प्रदर्शन कर रहे विपक्ष को प्रताडि़त करो। लेकिन इन सबके बाद भी हम भयभीत होने वाले नहीं है और न्याय के खातिर हमारी लड़ाई जारी रहेगी।
केदार ने कहा कांग्रेस व्यापारियों को डराकर दुकान खुलवा रही था(फोटो बीेजेपी प्रेस कांफ्रेंस)
नगरबंद के बाद बुधवार को भाजपा कार्यालय में प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने पत्रवार्ता लेते हुए कांग्रेस पर भाजपा के आंदोलन को कुचलने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन अपनी लाइन पार करके काम कर रही थी। व्यापारियों ने स्वस्फूर्त दुकान बंद किया तो कांग्रेस ने उन्हें डराकर दुकान खुलवाया। कार्यकर्ताओं को घर से गिरफ्तार किया। १६ से अधिक अधिकारियों को इस आंदोलन को कुचलने की जिम्मेदारी मिली और इसके लिए बाहर से पुलिस को भी बुलाया गया। इस मामले में सीएम ने भी जांच के आदेश दिए थे लेकिन अब तक उसका पता नहीं है। ऐसे में पीडि़तों को कांग्रेस के सरकार में न्याय मिलता नजर नहीं आ रहा है। लेकिन इसके खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी।
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