एक-दूसरे को भेंट की 16 शृंगार सामग्री
महिलाओं ने पूजन के बाद एक-दूसरे को 16 श्रंृगार सामग्री भेट की। महिलाओं ने एक-दूसरे को पीला धागा भी बांधा। इसके बाद सभी ने मिलकर बरगद पेड़ के नीचे बैठकर भजन कीर्तन भी किया। इस मौके पर मंदिरों व बाग बगीचों में भी महिलाओं की भीड़ नजर आती रही।
इसलिए की जाती है वट सावित्री व्रत पूजा
पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन सावित्री ने अपने मृत पति सत्यवान के प्राण वापस पाए थे। इस कारण से एेसी मान्यता चली आ रही है कि जो स्त्री सावित्री के समान यह व्रत करती है उसके पति पर आनेवाले सभी संकट इस पूजन से दूर होते है। इस दिन सभी सुहागन महिलाएं पूरे 16 श्रृंगार कर बरगद के पेड़ की पूजा करती है। एेसा पति की लंबी आयु की कामना के लिए किया जाता है।वट सावित्री व्रत में वट और सावित्री का विशेष महत्व है। इस दिन पीपल या बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। मान्यता के अनुसार वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों का वास होता है।
शनिदेव को प्रसन्न करने केसर-चंदन का चढ़ावा
शनि जयंती के दिन मंगलवार को चित्रकोट मार्ग स्थित शनि मंदिर से लेकर पीपल के पेड़ की पूजा करने श्रद्धालु पहुंचे। मंदिर में केसर, चंदन, चावल, फूल के साथ पूजा करते नजर आए। इसके बाद श्रद्धालुओं ने तिल व सरसो के तेल का दीपक जलाया। श्रद्धालु शनि जयंती पर व्रत के साथ-साथ गरीबों को काले कपड़े, उड़द की दाल,चावल, तिल, लोहा, सरसों का तेल दान करते नजर आए। इस मौके पर कई मंंदिरों में पूजा अर्चना का कार्यक्रम जारी रहा।