जगदलपुर

साल में एक बार बस्तर आती है यहां की आराध्य देवी दशहरे में शामिल होने, फिर होता है ये महत्वपूर्ण विधान

बस्तर के राजा जाते हैं दंतेवाड़ा, आराध्य देवी को देते हैं बस्तर दशहरा में शामिल होने का न्यौता।

जगदलपुरOct 07, 2019 / 11:41 am

Badal Dewangan

साल में एक बार बस्तर आती है यहां की आराध्य देवी दशहरे में शामिल होने, फिर होता है ये महत्वपूर्ण विधान

जगदलपुर. बस्तर दशहरा पर्व में आश्विन माह के अष्टमी और नवमी तिथि को रथ परिक्रमा नहीं होती। इस दिन रविवार को निशा जात्रा पूजा विधान पूरी की गई। अष्टमी मध्यरात्रि दंतेश्वरी मंदिर में पूजा-अनुष्ठान के बाद मांई जी की डोली को पारंपरिक बाजे-गाजे के साथ पुजारी, राजगुरू व सैकड़ों भक्त निशा-जात्रा मंदिर पहुंचे। यहां पर पूजा अनुष्ठान के साथ ही 24 मटकियों में भोग प्रसाद भी चढ़ाया गया।

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तैयारियां पूरी कर दी गई हैं
सोमवार को नवमी की शाम जोगी उठाई के बाद रात को मावली परघाव पूजा विधान पूरी होगी। इस कार्यक्रम में राजपरिवार के अलावा अन्य श्रद्धालु शामिल होंगे। बस्तर दशहरा की महत्वपूर्ण रस्म मावली परघाव के लिए रविवार को दंतेवाड़ा से मावली माता की डोली भी निकल गई है। सोमवार को कुटरूबाड़ा के पास माता की डोली का स्वागत किया जाएगा। इसके लिए तैयारियां पूरी कर दी गई हैं।

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साल में एक बार खुलता है निशा जात्रा मंदिर
निशा जात्रा मंदिर में खमेश्वरी देवी का वास माना जाता है। यह मंदिर साल में एक बार ही खुलता है। मंदिर के मध्य भाग में तिरछी एक प्रतिमा स्थापित है। मंदिर के भीतर सभी पूजा-पाठ होते हैं, लेकिन इस मंदिर में बाह्यबलि की प्रथा है। माना जाता है कि इस मंदिर में माता दंतेश्वरी और माता माणिकेश्वरी देवी का निवास है। प्रवेश करवाया गया।

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