इधर पांच दिन बाद घर पहुंचा चिन्तुराम का शव
सिंगनपुर निवासी चिन्तुराम नेताम समेत तीन युवकों को इसी गांव के विजय ने काम का लालच देकर बोरवेल वाहन में काम करने तमिलनाडु ले गया। यहां चिन्तुराम की तबीयत खराब हो गई और ईलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई। मृत्यु की सूचना 3 दिन बाद परिवार को लगी। परिवार का आरोप है कि श्रम विभाग की लेट लतीफ ी के कारण 11 जनवरी को मृत हुए चिन्तुराम नेताम का शम 16 जनवरी की सुबह पांच दिन बाद तमिलनाडु से सिंगनपुर लाया गया।
रितेश ने उनके साथ हुए बदसलूकी के बारे में बताया कि जब वे हैदराबाद से वापस आना चाहते थे तो मैनेजर उनसे दलाल को दिए गए 10 हजार रुपए वापस मांगने लगा। इस बात को लेकर रितेश ने अपने घर पर मां के पास कॉल किया। परिजनों से सौदेबाजी के बाद 6 हजार रुपए रिहाई के लिए और बस किराया के लिए एक हजार रुपए पर डील पक्का हुआ। परिजनों ने तय सौदा अनुसार रकम तो भिजवा दिए लेकिन उनकी रिहाई नही की गई। रिहाई नहीं होने से रितेश वहां से किसी तरह भाग निकला।
इस मामले पर जब जिला श्रम अधिकारी आरजी सुधाकर से चर्चा किया तो उनसे सकारात्मक जवाब नहीं मिला। उनके अनुसार आवेदक ने 10 जनवरी को लिखित शिकायत दिया है। इस मामले में कार्रवाई जारी है। अभी एक सप्ताह की देरी और होगी। आर्थिक व अन्य व्यवस्था करने में समय लग रहा है। जिस कारण दल रवाना नहीं किया गया है। वहीं अधिकारी सुधाकर ने यह भी बताया कि मजदूरों से अब तक कोई संपर्क नहीं हो पाया है। अधिकारी के इस लेट लतीफ ी का खामियाजा बंधक मजदूरों को भुगतना पड़ सकता है।
भागकर लौट गए चारों युवकों की माने तो बरमापल्ली हैदराबाद की वेंकट सई कंपनी में 35 से 40 व्यक्ति अब भी बंधूआ मजदूर की तरह काम कर रहे है। रितेश कुमार मरकाम की माने तो बंधक मजदूर इसलनार, मर्दापाल व चिंगनार क्षेत्र के है। इनमें 3 युवतियां भी शामिल हैं जिसके साथ शारीरिक शोषण का भी अंदेशा व्यक्त किया गया है।
जब इन चारों ने ईंट बनाने के काम को मना किया तो कंपनी के मैनेजर ने उनके साथ मारपीट करते हुए अभद्रता की। मौके पर मैनेजर ने उनसे कहा कि रितेश मरकाम, श्यामसुंदर, जागेश्वर और सुरेंद्र भारद्वाज के ऐवज में रितेश कोर्राम को दस-दस हजार रुपए दिए है। काम छोड़ कर जाना है तो सभी दस-दस हजार रुपए लौटाकर घर लौट जाए। परिस्थिति को देखते हुए चारों वहीं रुक गए। 2 दिन के बाद 7 जनवरी को वे किसी तरह वहां से भाग निकले।