नानी के घर दमागुडा गए थे तब से है बीमार
घोड़ीमुंडापार के ग्रामीणों ने बताया कि बच्चे सप्ताह भर पहले अपने नानी के घर दमागुडा गए थे। वहां से आने के बाद वे बीमार पड़े हैं। गांव में 15 से 20 परिवार रहते हैं। पूरे गांव की जनसंख्या करीब 97 है। इसमें 15 साल से कम बच्चों की संख्या 25 है। गांव के दूसरे बच्चों में जापानी बुखार का कोई असर नहीं हैं। ऐसे में वहीं से इस बीमारी की शुरु हुई होगी।
डोर टू डोर जाकर किया गया स्वास्थ्य परीक्षण
घोड़ीमुंडापारा में मितानिन, एएनएम और पैरामेडिकल स्टॉफ घर-घर जाकर लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया। इस दौरान मेडिकल कॉलेज के डॉ. टीके सिन्हा, डॉ. किशोर, शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ. आशिष, डॉ. आरके चतुर्वेदी, बकावंड बीएमओ डॉ. आरएस भंवर व स्वास्थ्य विभाग के अन्य स्टॉफ मौजूद थे। इस दौरान जापानी इंसेफेलाइटिस से इफेक्टैड एक भी मामला नहीं मिला। वहीं लोगों को Japanese encephalitis से बचाव के उपाय बताया गया। लोगों को बताया गया कि जापानी बुखार मच्छरों के कांटने से होता है, सोने के लिए मच्छरदानी का उपयोग करने के लिए कहा। घर के आसपास साफ सफाई करने के लिए भी कहा।
इस प्रकार फैलता है जेई
कमिश्नर अमृत खलखो ने जेई की रोकथाम के लिए पिग, बत्तख पालन क्षेत्रों में मच्छर नाशक दवा और फॉगिंग का निर्देश दिया है। संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. आरएन पांडे ने बताया कि जेई क्यूलेक्स मच्छर से फैलता है। क्यूलेक्स मच्छर Pig और बत्तखों को काटने के बाद मनुष्य को काटता है। इससे जेई का संक्रमण होता है। वहीं 12 साल तक के बच्चों में इस वायरस का संक्रमण अधिक रहता है। इधर शहरी इलाके में भी ऐसा करने कहा गया है।
रायपुर से पहुंची टीम ने पशु- पक्षियों के भी लिए ब्लड सैंपल
बस्तर में जापानी बुखार से मौत के बाद पूरे प्रदेश में हडक़ंप मच गया है। इससे शनिवार को चोलनार, घोड़ीमुंडापारा और बच्चों के ननिहाल ग्राम उडिय़ापाल के दामागुड़ा में राज्य सर्विलेंस अधिकारी डॉ. केआर सोनवानी अपनी टीम के साथ पहुंचे। पशु चिकित्सा विभाग दल ने उडिय़ापाल में बत्तख और हंसों के ब्लड सैंपल लिए। गांव के 70 घरों में कीटनाशक का छिडक़ाव और फागिंग किया गया।