मनीष पारख ने अपनी जारी बयान में बताया है कि अबूझमाड़ जैसे अतिसंवेनशील घनघोर दुर्गम क्षेत्र में निवास करने वाले ग्राम कुतुल, कच्चापाल और इरकभी के आदिवासी भाई-बहनों के आवागमन के लिए एकमात्र सडक़ थी। उसी सडक़ की मरम्मत रामकृष्ण मिशन के प्रबंधन द्वारा ग्रामीणों की सहूलियत को देखते हुए की जा रही थी। लेकिन नक्सलियों से इतना छोटा विकास कार्य भी न देखा गया और हर बार की तरह इस बार भी अपनी कायरतापूर्ण हरकत को दोहराते हुए सडक़ की मरम्मत में लगे आश्रम के वाहनों को आग के हवाले कर क्षतिग्रस्त कर दिया।
आदिवासी अंचल में रामकृष्ण मिशन संस्था नि:स्वाथ्र्य भाव ने अपनी वर्षों से अपनी सेवाएं देने का काम करते है। फिर इस प्रकार की हरकत का क्या औचित्य था। निर्माण कार्यों में आगजनी कर उन्होंने अपना विकास विरोधी चेहरा उजागर कर दिया है। माओवादियों ने हमेशा से लूट, मारपीट, रंगदारी, हत्या और सरकारी मशीनरी पर हमला करके बस्तर अंचल के विकास को बाधित करने का कार्य किया है।
आज इन्हीं की वजह से अबूझमाड़ जैस घनघोर दुर्गम क्षेत्र के निवासियों के सामने भुखमरी जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। निर्दोष ग्रामीणों पर झुठे आरोप लगाकर उनकी हत्या करना, तो कभी स्कूल के भवनों को क्षतिग्रस्त करना, कभी रेलवे लाईन क्षतिग्रस्त करना, तो कभी बस्तर क्षेत्र की सडक़ों को ध्वस्त करके ये नक्सली बस्तर की जीवन रेखा को मिटाने का कार्य करते हैं। इसी वजह से विकास की योजनाएं धरातल पर कभी नहीं उतर पाती। लेकिन नक्सली हथियार का भय दिखाकर अपने मंसूबे में कभी कामयाब नहीं हो पाएंगे।
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