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जगदलपुर

इस सडक़ पर पहले चलती थी भारी वाहनें, इलाके में माओवादियों की आमद के बाद अब ऐसा है हाल

जिन सडक़ों पर चलती थी भारी वाहनें, अब उग आई हैं ऊंची झाडिय़ां, जिले का अंदरूनी इलाका कड़ेनार, बेचा की सडक़ बन गई पगडंडी

जगदलपुरDec 09, 2019 / 11:31 am

Badal Dewangan

इस सडक़ पर पहले चलती थी भारी वाहनें, इलाके में माओवादियों की आमद के बाद अब ऐसा है हाल

इस सडक़ पर पहले चलती थी भारी वाहनें, इलाके में माओवादियों की आमद के बाद अब ऐसा है हाल

कोण्डागांव. जिले का अंतिम छोर और वर्तमान में माओवादियों का बसेरा कहा जाने वाला इलाका बेचा, कड़ेनार जहां दो दशक पहले तक चार पहिया यात्री वाहनों की बकायदा आवाजाही होती थी और वहां के ग्रामीण भी इन वाहनों का उपयोग किया करते थे। लेकिन इलाके में माओवादियों की आमद के साथ ही यहां धीरे-धीरेकर सब कुछ बदल गया और इस रास्ते में आवाजाही भी एकदम से बंद हो गई।

यह सडक़ मार्ग पगडंडियों में बदल गया
इसका नतीजा यह हुआ कि, यह मार्ग पूरी तरह से खस्ताहाल हो गया और माओवादियों के बढ़ते दबाव के चलते इस रास्ते पर किसी ने न तो अपनी वाहन चलाना बेहतर समझा और न ही इस मार्ग की मरम्मत करने की किसी ने हिकामत दिखा पाया। और आज यह सडक़ मार्ग पगडंडियों में बदल गया है। जहां जगह-जगह गड्डे तो कहीं पथरीली व उबड़-खाबड़ रास्ता राह ही दिखाई देता है। जो ग्रामीण कभी इसी मार्ग से चार पहिया वाहनों से आवाजाही किया करते तो उन्हें अपनी जरूरत के सामान लाने-ले जाने के लिए अब तकरीबन 10 से 15 किलोमीटर का सफर पैदल ही तय करना इस इलाके में बसे ग्रामीणों की मजबूरी है।

आरआरपी-02 में अनुमोदित है यह निर्माण
जानकारी के मुताबिक आरआरपी-2 रूरल रोड़ प्लान के तहत यह हड़ेली से कड़ेनार व हड़ेली से तुमलीवाल तक पक्की डामर सडक़ निर्माण कार्य सेंट्रल से अनुमोदित हुए दो साल बीत चुका है, लेकिन इसका अब तक वर्क प्लान तैयार नहीं होने के चलते इसका काम स्वीकृत नहीं हो पाया है। हालंाकि जिला निर्माण समिति से रानापाल से हड़ेली तक मार्ग निर्माण की प्रकिया जारी है और इस बीच तीन छोटे-बड़े, पुल-पुलियों का भी निर्माण किया गया है। एक समय पहले तक भले ही इस मार्ग पर निर्माण कार्य शुरू कर पाना मुसीबतों से सामना करना जैसा रहा होगा, लेकिन अब इस मार्ग में रानापाल से कड़ेनार तक तीन पुलिस कैम्प स्थापित हो चुके है। जिसके चलते इलाके में माओवादियों की दस्तक भी अब कम होने लगी है।

भंवरडीह में पुलिया बनने से जगी थी आस
ग्रामीणों ने बताया कि, जब इलाके में अर्धसैनिक बलों की तैनाती हुई और रानापाल पुलिया का निर्माण पूरा हुआ तो हमे लगा कि, अब जल्द ही हमारे गांवो तक भी सडक़ का निर्माण हो जाएगा। लेकिन पुलिया का निर्माण हुए तीन साल से भी ज्यादा का समय बीत गया पर हमारे गांवों तक जाने वाला रास्ता आज भी वैसा ही जैसा माओवादियों के आने के बाद जो हश्र हुआ है।

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