गर्मी की छुट्टियों में कम्प्यूटर सींखने जाता था
सालेगुडा के रहने वाले 20 वर्षीय जलंधर यादव लोगों को फ्लोराइड की समस्या से निजात दिलाने और वनांचल के गरीब बच्चों को बेहतर शिक्षा देना चाहते थे। जलंधर बचपन से फ्लोराइड की समस्या से पीडि़त था। बावजूद वह अपने इस सपने को पूरा करने के लिए कई दिक्कतों के बावजूद १२वीं तक की पढ़ाई भी पूरी कर ली। आगे की पढ़ाई शुरू कर पाता इसके पहले ही वह फ्लोरोसिस बीमारी से बुरी तरह पीडि़त हो गया। जलंधर ने बताया कि चार साल पहले १२वीं की बोर्ड परीक्षा दिलाने के बाद वह गर्मी की छुट्टियों में कम्प्यूटर सींखने जाता था। रोजाना ५-६ किमी. साइकल चलाकर वह कम्प्यूटर क्लास आना-जाना करता था। फ्लोराइड की वजह से साइकल चलाते वक्त पैर में असहनीय दर्द होता था। जिससे डेढ़ से दो महीने तक ही कम्प्यूटर क्लास गया। कॉलेज में प्रवेश लेने से पहले फ्लोराइड का असर काफी बढ़ गया।
मां-बाप ही हो गए बेसहारा
गांव के परसराम का उसका एक ही बेटा है, जो बचपन से फ्लोराइड की समस्या से पीडि़त है। परसराम के २५ वर्षीय बेटा जागेंद्र बिना सहारे के चल-फिर भी नहीं सकता। जागेंद्र का कहना है कि इ स उम्र में मुझे अपने मां-बाप की देखभाल करनी चाहिए, लेकिन फ्लोराइड की वजह से वह मेरी सेवा कर रहे हैं। फ्लोराइड ने मेरे बुढ़े मां-बाप को ही बेसहारा कर दिया है।