शव को ससम्मान दफनाया गया
फॉरेन्सिक टीम द्वारा जांच पूरी हो जाने के बाद शव को पंचनामा कर इस शव को सम्मान सहित दफना दिया गया। शिनाख्ती व अन्य पहलुओं की जांच के लिए डीएनए सैपलिंग (DNA Sample) करने शव के एक हिस्से को रायपुर स्थित एफसीएल में भेजा गया है। सूखे नाले पर मिला यह शव पुराना होने के बाद भी अन्य शव की तरह सड़ा- गला नहीं था। बल्कि इसकी त्वचा मोटे चमड़े में बदल गई थी।
ममी मानकर दर्ज कर दिया रिकार्ड
करीब 6 फुट लंबाई वाले मृतक की उम्र 40 साल के आसपास आंकी गई। लक्षण के आधार पर इस शव को ममी मानकर रिकार्ड दर्ज किया गया है। आरएफएसएल के वैज्ञानिक डा. बी सूरी बाबू ने एक अन्य वाकये का जिक्र करते हुए बताया कि बारसूर इलाके में दशक भर पहले एक और ममी देखी गई थी।
बाढ़ के दौरान बहकर आया था शव
नदी के बीचों बीच एक अजीबो गरीब शव अटका हुआ है। इंद्रावती की छिछली धारा को पार कर जब वे उस जगह तक पहुंचे तो पाया कि यहां तांबई रंग का एक शव अटका हुआ था। शोध करने पर पता चला कि यह शव बाढ़ के दौरान दूर कहीं से बहकर आया होगा। इस टापूनुमा जगह पर रेत की तपिश व शुष्क हवाओं ने कालांतर में इसे ममी में बदल दिया।
कुदरत ने बना दिया ममी
ज्वाइंट डायरेक्टर, क्षेत्रीय न्यायिक विज्ञान प्रयोगशाला के डा. बी सूरी बाबू ने बताया कि, तेज गर्मी व सूखी हवाओं की वजह से ऐसा हुआ है। गर्मी ने शव को सूखा दिया व तेज हवा ने उसके सडऩ की प्रक्रिया धीमी कर दी। शव कड़े चमड़े की तरह हो गया था। इसे ममीटाइजेशन कहते हैं। ममी में बदलने की ऐसी घटनाएं कम देखी गई। बस्तर संभाग में दो दशक में ये दो घटनाएं विभाग ने दर्ज की है।
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