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जगदलपुर

छात्रा ने सीएम से पूछा- स्वामी आत्मानन्द जी के नाम से हमारा स्कूल है, क्या आप हमें उनके बारे में बता सकते हैं

जगदलपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शुक्रवार को जगदलपुर में स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी स्कूल का निरीक्षण किया। इस दौरान मुख्यमंत्री से क्लास की पिछली पंक्ति में बैठी नन्हीं रश्मि डहरिया ने मुख्यमंत्री से पूछा कि जिन स्वामी आत्मानन्द जी के नाम से हमारा स्कूल है, क्या आप हमें उनके बारे में बता सकते हैं?

जगदलपुरMay 28, 2022 / 07:46 pm

Suresh Das

Atmanand School

रश्मि के सवाल के जवाब में आत्मानंद के जीवन के बारे में बताते हुए मुख्यमंत्री।

ये सुनकर मुख्यमंत्री ने कहा- बेटी आपने बड़ा प्रश्न पूछ लिया, बैठो, मुख्यमंत्री ब्लैक बोर्ड के सामने आ गए और उन्होंने विस्तार से बच्चों को स्वामी आत्मानंद के प्रेरक जीवन के विषय में बताया। बच्चों ने भी बड़ी तन्मयता से मुख्यमंत्री से स्वामीजी के बारे में जाना, जिनके नाम पर उनका स्कूल है। मुख्यमंत्री ने बच्चों को बताया कि स्वामी आत्मानन्द का जन्म रायपुर में हुआ, उनके पिता का नाम धनीराम वर्मा था। वे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और शिक्षक थे। महात्मा गांधी के आह्वान पर वे भारत छोड़ो आंदोलन में कूद पड़े। गिरफ्तारी हुई और नौकरी भी छूट गयी। वर्धा आश्रम में वे गांधीजी के साथ रहे। स्वामी आत्मानंद जब 4 साल के थे तो वे वर्धा आश्रम में महात्मा गांधी का प्रिय भजन रघुपति राघव राजा राम हारमोनियम पर गाकर सुनाते थे। वे बहुत कुशाग्र थे, एमएससी मैथ्स में नागपुर के गोल्ड मेडलिस्ट थे। तब छत्तीसगढ़ सीपी बरार प्रांत का हिस्सा था। नागपुर में ही विवेकानंद आश्रम से उन्हें स्वामी विवेकानंद के पथ पर चलने की प्रेरणा मिली। वे आईसीएस की परीक्षा में टॉप टेन में आये थे। वो कलेक्टर नहीं बने बल्कि स्वामी विवेकानंद आश्रम में शामिल हुए। विवेकानंद जी भी रायपुर में अपने बचपन मे रहे थे। कलकत्ता के बाद रायपुर में ही उन्होंने अपने जीवन का सबसे ज्यादा समय गुजारा। मुख्यमंत्री ने कलेक्टर को स्वामी आत्मानंद स्कूल जगदलपुर के बच्चों को नारायणपुर में स्वामी आत्मानंद द्वारा स्थापित आश्रम ले जाने के निर्देश दिए। उन्होंने स्कूल की लाइब्रेरी स्वामी आत्मानन्द की किताबों का सेक्शन बनाने और स्वामीजी के प्रेरक प्रवचनों के ऑडियो क्लिप्स बच्चों को सुनवाने के निर्देश दिए।
लाइब्रेरी में छिड़ी किताबों पर बात

स्कूल लाइब्रेरी में बच्चों ने मुख्यमंत्री से किताबों पर रोचक चर्चा की। छात्रा भारती गोलछा ने मुख्यमंत्री से पूछा- आपकी पसंदीदा किताब कौन सी है? मुख्यमंत्री ने भारती को बताया कि मुझे महापुरुषों की जीवनी पढऩे का बहुत शौक है। मैंने महात्मा गांधी, नेहरू जी, नेताजी सुभाषचन्द्र बोस, सरदार पटेल, स्वामी विवेकानंद सहित अन्य महापुरुषों की जीवनी पढ़ी है। महापुरुषों के जीवन से हमें प्रेरणा मिलती है। आपको भी ऐसी किताबें पढऩी चाहिए। चेतना ने मुख्यमंत्री से पूछा- सर क्या आपके स्कूल में लाइब्रेरी थी? मुख्यमंत्री ने चेतना के प्रश्न पर अपने छात्र जीवन को याद करते हुए बताया कि मेरे स्कूल में इतनी अच्छी लाइब्रेरी नहीं थी, जैसी यहां है।

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