क्या है स्लरी पाइप लाइन योजना
एनएमडीसी यहां बस्तर में बचेली से नगरनार तक 138 किलोमीटर की स्लरी पाइप लाइन बिछानें की योजना पर काम कर रही है। इस परियोजना अंतर्गत भविष्य में किरंदुल से बचेली को जोडऩें तथा नगरनार से विशाखापट्टनम तक पाइप लाइन विस्तार करने की भी योजना है। बचेली से नगरनार के बीच स्लरी पाइप लाइन परियोजना के लिए नौ मई 2015 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दंतेवाड़ा में हुई सभा में एनएमडीसी ने राज्य सरकार के साथ एमओयू किया था। इस प्रोजेक्ट में काम काफी आगे बढ़ गया है। पाइप लाइन बिछानें का काम इसी साल शुरू करने की दिशा में काम तेजी से जारी है। वहीं एनएमडीसी विशाखापट्टनम और रायपुर राजमार्ग के बीच पैलेट प्लांट लगानें की इच्छुक कंपनियों को स्लरी उपलब्ध कराएगा। इसके लिए स्लरी पाइप लाइन बिछाई जाएगी। एनएमडीसी पैलेट प्लांट लगानें की इच्छुक कंपनियों को प्रोजेक्ट में हिस्सेदारी भी देगा।
क्या कहना है अधिकारियों का
एनएमडीसी अधिकारियों, कोड़ेनार टीआई के साथ यहां गए तोकापाल के नायब तहसीलदार राहुल गुप्ता ने कहा कि बुधवार को स्लरी पाइपलाइन योजना के तहत आने वाले गांव में वे बुधवार को पहुंचे थे। यहां पहुंचते ही ग्रामीण कुल्हाड़ी और डंडे लेकर विरोध करने पहुंच गए थे। बातचीत करने का काफी प्रयास किया गया लेकिन वे नहीं माने इसके बाद वे वापस लौट आए। उनका कहना है कि योजना के अंतगर्त आने वाले ५५ गांवों के लोगों ने सहमति दे ही है। बस इलाके के दो से तीन गांव ही है जहां के लोग विरोध कर रहे हैं। विरोध प्रदर्शन के दौरान ग्रामीणों से पूछा भी गया कि यदि विकास को लेकर उनकी कुछ मांगे है तो बताए इसके लिए शासन या एनएमडीसी करने को तैयार है। साथ ही बताया कि यह पाइप जमीन के ९ फीट अंदर से गुजरेगी इससे उनकी जमीन छीनने जैसी बात भी नहीं है। तो फिर क्यों विरोध किया जा रहा है यह समझ से बाहर है।
ग्रामीण अब ग्रामसभा में इन अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए लाएंगे प्रस्ताव
इसके विरोध में सीमांकन करने वाले संबंधित अधिकारी कर्मचारियों के विरुद्ध आगामी दिनों में ग्राम सभा आयोजित कर संबंधित अधिकारी कर्मचारियों के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर कार्रवाई करने के लिए शिकायत किया जाएगा।
हम जमीन नहीं देंगे यदि जबरदस्ती की तो न्यायलय की शरण में जाएंगे
ग्रामीणों का कहना है कि यदि जिला प्रशासन व एनएमडीसी उनसे जमीन लेने के नाम पर जोर-जबरदस्ती करता है तो पहले तो उनके खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज की जाएगी। इसके बाद माननीय कोर्ट के शरण में भी जाएंगे।
ग्रामीणों ने अधिकारियों से यह पूछा
क्या आपके द्वारा ग्राम सभा से अनुमति लिया गया कि नहीं यदि लिया गया है तो लिखित दस्तावेज दिखाइए? भारतीय संविधान को मानते हो तो संविधान के विपरीत क्यों काम कर रहे हो? पेशा कानून, पांचवी अनुसूची क्षेत्र में प्रवेश से पहले या जाने से पहले पारंपरिक ग्रामसभा की अनुमति लेना अनिवार्य होता है क्या आपके द्वारा अनुमति लिया गया है?
क्या कहना है गांव वालों का
इस मामले में गांव वालों से जब पत्रिका ने बात की तो यहां की जनपद सदस्य रूकमणी कर्मा ने बताया कि गांव गणराज्य मावलीभाटा (परगना चीतापुर) में स्लरी पाइप लाइन की सीमांकन के लिए जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन और एनएमडीसी के अधिकारी में आए हुए थे। जबकि गांव वालों ने इस प्रस्ताव को ग्राम सभा में लाया था और इसे निरस्त कर दिया था। इसकी जानकारी जिला प्रशासन और एनएमडीसी को भी दी गई थी। इसके बावजूद जब वह गांव में पहुंचे तो उन्हें संविधान का पाठ पढ़ाया गया। इसके पहले भी तोकापाल स्थित परपा मे महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा के साथ आपत्ति दर्ज कराई थी। बुधवार को भी ग्राम सभा के सदस्य एवं गणमान्य नागरिकों ने विधि के विरुद्ध सीमांकन करने आए अधिकारियों का विरोध किया जिसके बाद उन्हें लौटना पड़ा।