scriptबस्तर के महिला समूह की अनोखी पहल, 170 से अधिक देशी धान की प्रजाति के बीजों का बैंक बना करती हैं लेनदेन, पढि़ए खास रिपोर्ट | The women of Bastar are collecting seeds of indigenous paddy species. | Patrika News
जगदलपुर

बस्तर के महिला समूह की अनोखी पहल, 170 से अधिक देशी धान की प्रजाति के बीजों का बैंक बना करती हैं लेनदेन, पढि़ए खास रिपोर्ट

छोटे गारावंड की तेजस्वी महिला समूह बस्तर में देशी धान की करीब 1500 प्रजातियां पाई जाती हैं, देशी किस्मों के बीज विलुप्ति के कगार पर है। इसे बचाने यह प्रयास किया जा रहा है।

जगदलपुरDec 10, 2019 / 11:25 am

Badal Dewangan

बस्तर के महिला समूह की अनोखी पहल, 170 से अधिक देशी धान की प्रजाति के बीजों का बैंक बना करती हैं लेनदेन, पढि़ए खास रिपोर्ट

बस्तर के महिला समूह की अनोखी पहल, 170 से अधिक देशी धान की प्रजाति के बीजों का बैंक बना करती हैं लेनदेन, पढि़ए खास रिपोर्ट

मनीष साहू/ज्ञानप्रकाश त्रिपाठी/जगदलपुर. बस्तर जिले में एक ऐसा बैंक तैयार किया जा रहा है, जहां रुपए का लेन देन नहीं होगा। यहां से कर्ज के रूप में धान की देशी किस्मों के बीज किसानों को दिया जाएगा। इसके एवज में कोई शुल्क भी नहीं लिया जाएगा, बल्कि फसल उत्पादन के बाद किसानों को डेढ़ गुना बीज वापस करना होगा।

देशी किस्मों के बीज विलुप्ति के कगार पर
इस बैंक की शुरुआत जगदलपुर ब्लॉक में स्थित ग्राम छोटे गारावंड की तेजस्वी महिला समूह की महिलाएं कर रही हैं, इन्होंने अब तक धान की करीब 170 देशी किस्मों को स्थानीय तरीके से सहेजा है। इसमें रामजीरा, केदार भोग, कुसुम भोग, काला तुलसी, बदामी तुलसी जैसी सुगंधित व स्वादिष्ट किस्मों के अलावा शीतल भोग, बासा भोग, लोकटी माची, काली मुच, नीलमणी, करन फुलों व हल्दी सारीक जैसी औषधीय गुणों वाले धान शामिल हैं। बताया जा रहा है कि जलवायु परिवर्तन तथा अन्य पर्यावरणीय कारणों से समय के साथ परंपरागत कृषि पद्धतियों में बदलाव आ रहा है इससे किसान अधिक उत्पादन के लिए हाईब्रिड बीजों का प्रयोग बड़े पैमाने पर कर रहे हैं। इससे देशी किस्मों के बीज विलुप्ति के कगार पर है। इसे बचाने यह प्रयास किया जा रहा है।

बस्तर में देशी धान के 1500 प्रजाति
प्रभाती भारत ने बताया कि 170 देशी किस्म के धान बीज एकत्र करने में 17 साल लग गए। उन्होंने बताया कि पूसा इंस्टीट्यूट दिल्ली के कृषि वैज्ञानिक डॉ. एसके श्रीवास्तव ने करीब 1987 में छत्तीसगढ़ में धान की देसी प्रजाति को लेकर रिसर्च किए थे, जिसमें बस्तर में करीब 1500 किस्म के देसी धान मिले थे। इसमें अब तक करीब 170 किस्म के धान बीज एकत्र कर चुके है। इसके अलावा करीब 400 देशी प्रजाति का धान बीज एकत्र किया जा रहा है।

भाभा रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिक करेंगे रिसर्च
भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक और पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ महिला समूह द्वारा एकत्र किए गए देशी धान के किस्मों पर रिसर्च करेंगे। वैज्ञानिक ये पता लगाएंगे कि धान के इन किस्मों में किस प्रकार का औषधीय गुण है। ताकि देशी किस्मों के धान के उत्पादन से किसानों के आय में वृद्धि हो सके।

देशी किस्म के गेंहू बीज भी कर रहे एकत्र
तेजस्वी महिला समूह धान के साथ ही देशी किस्म के गेंहू बीज भी एकत्र कर रही हैं। इसमें अब तक बंशी, सुरज, कुतरन, काला गेंहू और सूर्या किस्म के गेंहू बीज का एकत्र कर चुकी है। इसमें सूर्या गेंहू शुगर फ्री है। शुगर पीडि़त व्यक्ति इस गेंहू का उपयोग कर सकते हैं। समूह में प्रभाती भारत, दुरूपता बघेल, पदमा, कंसुला, लकमा, भगवती, शैती व राधा बाई शामिल है। जो बस्तर में देशी किस्म के धान बीजों का संरक्षण और संवर्धन का काम कर रही हैं। इसके अलावा महिलाएं जैविक खेती के लिए भी किसानों को प्रेरित कर रही हैं।

किसानों को निशुल्क 5 किलो बीज देंगे, उत्पादन बाद 7 किलो लेंगे वापस
तेजस्वी महिला समूह अध्यक्ष प्रभाती भारत ने बताया कि दे देशी बीजों का संरक्षण के साथ ही जैविक खेती के लिए किसानों को प्रेरित भी किया जा रहा है। इसके लिए शुरुआत में किसानों को पांच किलों तक निशुल्क बीज दिया जाएगा। फसल उत्पादन के बाद किसानों से ७ किलो बीज लिया जाएगा। बीज बैंक में बीजों की संख्या बढ़ाने के लिए इस बार दो एकड़ में १७० किस्म के देसी धान का उत्पादन किया गया था। अब अलग अलग गांव में इस का प्रचार कर वहां के महिला स्व सहायता समूहों को वे प्रेरित कर रही।

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