आठ घंटे गांव से बाहर उपस्वास्थ्य केंद्र के बाहर जमीन पर बैठे रहा
रास्ता भटककर नानगुर के पुलचा पहुचे इस मजदूर के लोग जब गांव वालों ने देखा तो बातचीत की। भाषा नहीं समझ आने की वजह से वे समझ गए कि यह बाहर का है। गांव वालों से इसे भगा दिया। इसके बाद यह मददूर सिरमुड़ पहुंचा। यहां भी गांव वालों ने इसकी जानकारी सरपंच और समाजसेवी शकील को दी। शकील ने इसकी जानकारी स्थानी पुलिस कश्यप और स्वास्थ्य विभाग के डॉ. सेते को दी।
भाषा भी बनी मुसिबत, आंध्रा बात करवाकर परेशानी समझी
शिवा के सामने सबसे बड़ी मुसिबत अपनी समझाने की थी। उसे तमित और तेलगू भाषा ही आती थी। यही वजह रही कि उसकी बात कोई समझ नहीं पा रहा था। जब मौके पर शकील पहुंचे। तो उसने अपने हैदराबाद के एक दोस्त अशोक से बात कराई। तब जाकर मामला समझ आया। इसके बाद उन्होंने यह जानकारी विभाग को दी। और आगे की कार्रवाई बढ़ी।