वर्ष 2014 में हुई बाघों की गणना में छत्तीसगढ़ में 46 बाघ होने दावा वन विभाग ने किया था। इसके पश्चात 2018 में राज्य सरकार ने राज्य में कुल 19 बाघ होने की पुष्टि की थी। इसके बाद से अब तक बस्तर में ही 6 बाघ की खाल की जब्ती के मामले सामने आए हैं। यदि सरकारी आंकड़े सही है तो राज्य में अब 13 बाघ होने चाहिए जो कि वर्ष 2014 के 46 के आंकड़े से 33 कम हंै। इन आठ वर्षों में बाघों की संख्या में इतनी कमी पाया जाना वन विभाग की घोर लापरवाही दर्शाता है।
नक्सल प्रभावित है इंद्रावती रिजर्व
छतीसगढ़ में इंद्रावती, उदंती-सीतानदी और अचानकमार तीन टाइगर रिजर्व हंै। लेकिन हाल ही में गुरुघासी दास टाइगर रिजर्व को राज्य का चौथा टाइगर रिजर्व घोषित किया गया है। वर्ष 1983 में इंद्रावती नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था। तब से इसका पूरा इलाका नक्सल प्रभावित है यही कारण है वन अफसर-कर्मी अंदर जाते ही नही हंै। विभाग की गतिविधियां कागजों तक ही सीमित होकर रह गई हैं।
नेशनल टाइगर कंजर्वेशन एथॉरिटी ( एनटीसीए ) बाघों के सरक्षण के लिए हर साल अपना बज़ट बढ़ा रहा है पर बावजूद इसके बाघों की संख्या में लगातार कमी आ रही है जारी ताजा आंकड़ो के मुताबिक वर्ष 2008 से 2023 तक देश मे 447 बाघों की मौत हुई है। बाघों के संरक्षण हेतु एनटीसीए वर्ष 2016-17 में जहां 348 करोड़, 2017-18 में 354, 2018-19 में 363 करोड़, 2019-20 में 280 तथा 2020-21 में 400 करोड़ का बजट मंजूर किया गया है।
07 फरवरी 2021 को बस्तर में
24 जनवरी 2021 को आमाबेड़ा
11 मार्च 2021 को जगदलपुर
15 जून 2021 को बस्तर
21 अगस्त 2021 को पखांजुर
1 अगस्त 2021 को चन्दूर ( तारलागुड़ा)
18 दिसम्बर 2019 कांकेर
28 अप्रैल 2017 भानुप्रतापपुर
21 अप्रैल 2016 कोंडागांव
6 जनवरी 2016 भानुप्रतापपुर