95 प्रतिशत गाडि़यां लौह अयस्क परिवहन पर है निर्भर
गौरतलब है कि बस्तर में ट्रांसपोर्ट व्यवसाय में लगी ट्रकों का 95 प्रतिशत काम लौह अयस्क परिवहन पर निर्भर है। लौह अयस्क परिवहन व्यवथित तरीके से हो इसके लिए बस्तर परिवहन संघ की नींव रखी गई थी। करीब 60 साल तक बिना किसी विवाद के यह लगातार संचालित भी होता रहा, लेकिन प्रशासनिक हस्तक्षेप की आंच इसपर भी आई और इसके चलते 14 महीने तक इस पर ताला जड़ दिया गया।
थोड़ी राहत मिली, थोड़े और की जरूरत है
14 महीने बाद संघ का ताला खुलने से ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों ने राहत की सांस तो जरूर ली है। लेकिन उन्हें कुछ और राहत की जरूरत है। संघ का कहना है कि किसी राजपत्रित अधिकारी के अधीन संघ के कुछ सदस्यों की एक समिति इसके कार्य का संचालन करें तो ज्यादा बेहतर है। वहीं उन्होंने कहा कि संचालन की पूरी निगरानी राजपत्रित अधिकारी करें इसमें उन्हें कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन स्थानीय ट्रांसपोर्टरों को माल ढुलई के लिए प्राथमिकता मिलनी चाहिए।
मिलेंगे कलक्टर से, रखेंगे प्रस्ताव
संघ के सदस्यों का कहना है कि तहसीलदार आरपी बघेल के स्थानांतरण के बाद संघ के संचालन में दिक्कत आ सकती है इसलिए संघ के सदस्यों की 10 सदस्यीय टीम संघ का संचालन प्रशासनिक अधिकारी की निगरानी में करेंगे, यह प्रस्ताव कलक्टर अय्याज तंबोली के सामने रखी जाएगी, ताकि ट्रांसपोर्टरों का नुकसान न हों।