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जयपुर

हम भोजन के साथ रोज खा रहे 0.27 मिलीग्राम कीटनाशक

प्रदेश के कृषि विशेषज्ञों का शोध के हवाले से खुलासा: जहां ज्यादा मात्रा वहां लोग कैंसर से पीडि़त, उत्पादन बढ़ाने की होड़ के अब आने लगे भयावह परिणाम

जयपुरDec 11, 2019 / 12:19 am

Abrar Ahmad

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जयपुर. कीटनाशकों से फसलें तो तेजी से फलफूल रही हैं, लेकिन हमारा शरीर उतनी ही तेजी से बीमार हो रहा है।

कीटनाशकों पर लगाम नहीं कसी गई तो हर घर में कैंसर के मरीज होंगे और हर जना बीमार ही मिलेगा। यह कहना है प्रदेश के कृषि व स्वास्थ्य विशेषज्ञों का। विशेषज्ञों ने शोध के हवाले से चौंकाने वाला खुलासा किया है। हम रोज अपने भोजन के साथ औसत रूप से ०.२७ मिलीग्राम कीटनाशक भी खा रहे हैं। पेट में साल भर इसकी करीब ९९ मिलीग्राम मात्रा पहुंच रही है, जो कि एक ग्राम के दसवें हिस्से के बराबर है। फसल को बचाने और लगातार उपज बढ़ाने की कोशिश में खेतों में डाला जा रहा कीटनाशक फल, सब्जी व अनाज सभी में मौजूद है।
रसायन एेसे कर रहा शरीर को खोखला

कीटनाशकों के माध्यम से मिट्टी में मिलने वाले हानिकारक रसायन अब खाद्य श्रंृखला में भी प्रवेश कर चुके हैं। फसलों और विभिन्न खाद्य स्रोतों के जरिए लोगों के शरीर में पहुंच कर बीमारी फैला रहे हैं। ये हानिकारक रसायन लगातार मानव शरीर में जमा हो रहे हैं और इनकी मात्रा बढऩे से कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी होनेे की आशंका बढ़ती है। भूमि में कीटनाशक का प्रभाव बढऩे पर बैक्टीरिया की तादाद प्रभावित होती है।फलों और सब्जियों को अच्छी तरह से धोने से उनका ऊपरी आवरण तो स्वच्छ कर लिया जाता है, लेकिन उनमें मौजूद विषैले तत्वों को दूर करने का कोई तरीका नहीं है। इसी धीमे जहर से लोग कैंसर, एलर्जी, हृदय, पेट, शुगर, रक्त विकार और आंखों की बीमारियों के शिकार हो रहे हैं।
एक बार इस्तेमाल, मिट्टी में हमेशा बरकरार
रसायनिक कीटनाशक उपयोग के बाद भी मिट्टी में मौजूद रहते हैं। एक बार उपयोग के बाद इनकी उपस्थिति लगातार मिट्टी में रहती है। ये पन्द्रह से बीस साल तक नष्ट नहीं होते। ऐसे में कीटनाशक का उपयोग नहीं करने पर भी उसका प्रभाव रहता है। इसके कारण वे जीवाणु और कवक भी नष्ट हो जाते हैं, जो फसलों के लिए लाभदायक हैं। ऐसे में रासायनिक कीटनाशक का उपयोग अभी बंद करने पर भी मृदा को इससे मुक्त करने के लिए कई वर्ष लगेंगे।
कीटों में हो रही प्रतिरोधकता विकसित

रसायनिक कीटनाशक के लगातार उपयोग से अब फसली बीमारी पैदा करने वाले जीवाणुओं में कीटनाशक के प्रति प्रतिरोधकता विकसित हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि कीटनाशक की मात्रा ज्यादा करना इसका हल नहीं है। इसके लिए प्राकृतिक व जैविक उपचार करना जरूरी है, लेकिन आमतौर पर कीट नाशकों की मात्रा बढ़ा कर इस समस्या को काबू करने का प्रयास किया जाता है।
ये बोले विशेषज्ञ

भोजन के जरिए कीटनाशक लगातार इंसान के शरीर में जाते हैं तो कैंसर का खतरा रहता है। इससे कुपोषण, कुपाचन और लिवर में खराबी की समस्याएं होती हैं। कीटनाशक शरीर में जाकर शरीर के सभी अंगों को प्रभावित करते हैं।
-डॉ. एसएस शर्मा, गेस्ट्रोएंट्रोलोजी विशेषज्ञ, सवाई मानसिंह अस्पताल

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सामान्य स्थिति में कीट से फसल में औसतन तीस प्रतिशत नुकसान होता है। इस तीस प्रतिशत नुकसान को बचाने के लिए रासायनिक कीटनाशक का उपयोग किया जाता है। वैज्ञानिक खेती में कीटनाशक देने की मात्रा तय करते हैं, लेकिन किसान तय मानक से अधिक मात्रा में इसका उपयोग कर रहा है। खेत में लगातार इसका उपयोग अब खतरनाक स्थिति में पहुंच रहा है।
-पी.सी.त्रिवेदी, पूर्व कुलपति, गोरखपुर विश्वविद्यालय

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