इनका वर्कऑर्डर भी जारी कर दिया है। राजधानी में नौ साल बाद खरीदी जा रही सिटी बसों के आने से जेसीटीएसएल के बेड़े में कंडम बसों को हटाया जाएगा। वहीं सड़कों पर नई बसें दौड़ती नजर आएंगी। नई बसों के आने के बाद जेसीटीएसएल के बेड़े में बसों की संख्या कुल 350 हो जाएगी।
इससे पहले 2012 में बसों की खरीद की थी, लेकिन 2017 के बाद सांगानेर डिपो की 100 बसें अवधिपार हो गई। ऐसे में कंडम बसों का ही संचालन किया जा रहा था। अब लॉकडाउन के बाद मेंटिनेंस नहीं होने से यें बसें कबाड़ हो चुकी हैं।
सांगानेर डिपो को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। शेष टोडी और विद्याधर नगर डिपो की 180 बसों से ही काम चलाया जा रहा था, लेकिन यात्रीभार कम होने के कारण बसों की संख्या फिलहाल घटा दी गई है।
आबादी के हिसाब से दो हजार बसों की जरूरत
राजधानी में पब्लिक ट्रासंपोर्ट की वर्तमान स्थिति को देखें तो आबादी के हिसाब से दो हजार बसों की जरूरत है। शहर में करीब 40 लाख आबादी है।
राजधानी में पब्लिक ट्रासंपोर्ट की वर्तमान स्थिति को देखें तो आबादी के हिसाब से दो हजार बसों की जरूरत है। शहर में करीब 40 लाख आबादी है।
बसें कम होने से बाहरी इलाकों में दिक्कत है। निजी बसों की स्थिति भी दयनीय है। 1500 बसों में से करीब 700 निजी बसें अवधिपार हो गई। ऐसी स्थिति में लोगों के लिए अब महज ऑटो, कैब ही बचे हैं।