यह बाघ भी हैं गायब जानकारी के अनुसार रणथम्भौर से गत कई सालों से कई बाघ गायब हैं। विभाग इनके किसी दूसरे क्षेत्र में चले जाने की बात कहता है, लेकिन लम्बे समय बाद तक भी बाघों की मौजूदगी की स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी है। इनमें टी-20 झूमरू को मई 2019 में इण्डाला वन क्षेत्र में, टी 88 कालू व टी 89 धोलू को 30 दिसम्बर 2016 को जोन 1 के रायपुर क्षेत्र में आखिरी बार देखा था। टी 11 ने 2015 में दरा क्षेत्र में 2 शावकों को जन्म दिया था। कुछ दिन बाद यह भी लापता हो गए। इधर, 2017 में ऐरोहेडड के तीन शावक व इससे पहले लाइटनिंग के शावक भी गायब हो गए थे। बाघिन सुंदरी भी वर्ष 2008 से गायब है। विभाग पूर्व में इसे करौली में होना बताता था, लेकिन बाद में इसे मृत मान लिया। हालांकि इसका शव अब तक नहीं मिला है।
शावकों की मौत की गुत्थी भी अनसुलझी सूत्रों के अनुसार 17 अप्रेल 2018 को आवण्ड वन क्षेत्र में बाघिन टी 79 के दो शावकों के शव मिले थे। विभाग ने इसे बड़े बाघ से संघर्ष माना था। हालांकि बाद में बरेली व हैदराबाद से आई रिपोर्ट में बाघ के शरीर में कीटनाशक के अंश मिले थे। इसके बाद एक जांच कमेटी का भी गठन किया गया, लेकिन अब तक इस मामले में जांच ठण्डे बस्ते में है।
सांसद : अधिकारियों की लापरवाही रणथम्भौर में 26 बाघों का गायब होना और चीतल का शिकार एक गंभीर मामला है। इसमें कहीं न कहीं अधिकारियों की लापरवाही व गैर जिम्मेदाराना रवैया झलकता है। एनटीसीए की सदस्य होने के नाते मैंने सरकार से मामले में जांच की मांग की है। टाइगर रिजर्व में बाघों व अन्य वन्यजीवों का संरक्षण अहम है।
-दीयाकुमारी, सांसद व सदस्य एनटीसीए
मंत्री: सांसद का पत्र गैर जिम्मेदाराना सांसद दीया कुमारी का यह पत्र गैर जिम्मेदाराना है। हमारी सरकार बनने के बाद एक भी बाघ लापता नहीं हुआ। दीया कुमारी ने जो 116 की संख्या बताई है वो भी उनके ज्ञान पर सवाल खड़ा करती है। आरटीआर का मामूली ज्ञान रखने वाले को भी पता है कि पार्क में बाघों की संख्या कितनी है। यह बेहद खोखला पत्र है, जो उन्हीं की पार्टी की पूर्ववर्ती सरकार पर सवाल खड़ा करती है।
सुखराम विश्नोई, वन एवं पर्यावरण मंत्री
मेरे पास ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं आई है। इस संबंध में पीसीसीएफ वन्यजीव से जानकारी मांगी है। जानकारी मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
-जी.वी. रेड्डी, प्रधान मुख्य वन संरक्षक,( हॉफ), वन विभाग