एसएमएस अस्पताल अधीक्षक डॉ. विनय मल्होत्रा ने बताया कि मकर संक्रांति पर छत से गिरने, मांझे से कटने के मामले बढ़ जाते हैं, ऐसे में अस्पताल में उपचार के लिए विशेष इंतजाम किए गए थे। उन्होंने बताया कि ज्यादातर फ्रेक्चर, नाक, मुंह पर कट लगने वाले मरीज अस्पताल पहुंचे।
ज्यादातर बच्चे
छत से गिरने वालों में ज्यादातर 10 से 13 साल के बच्चे हैं, वहीं मांझे से कटने और पतंग लूटने के चक्कर में घायल होकर भी बड़ी संख्या में लोग अस्पताल पहुंचे हैं।
तीन सौ से ज्यादा कबूतर और पक्षी घायल मकर संक्रांति पर मांझे में उलझकर करीब 300 पक्षी घायल हुए, जिनको सामाजिक संगठनों की ओर से लगाए गए पक्षी चिकित्सा शिविर में लाया गया। जहां पर पक्षियों का इलाज किया गया। इनमें ज्यादातर कबूतर है, लेकिन इनमें तोता, कमेडी, चील और बाज भी शामिल हैं।
अशोक विहार स्थित वन विभाग के पक्षी चिकित्सा शिविर में शुक्रवार को पतंग के मांझें में उलझकर घायल हुए 16 कबूतरों को भर्ती किया गया। यहां पर बीते तीन दिन में कुल 129 घायल पक्षियों को लाया गया है। राजस्थान जनमंच की ओर से मालवीय नगर में संचालित पक्षी चिकित्सालय में शुक्रवार को 110 कबूतर, चिड़िया, तोता सहित अन्य पक्षियों को को भर्ती किया गया है। इसी के साथ शहर में कई सामाजिक संगठनों ने पक्षियों के उपचार के लिए शिविर लगाए हैं, शुक्रवार को शहर में तीन सौ से ज्यादा पक्षियों को इन पक्षी चिकित्सा शिविर में लाया गया।
डोर मांझा नहीं छोड़े मालवीय नगर में पक्षी चिकित्सा चिकित्सालय संचालक कमल लोचन ने बताया आजकल पतंगबाजी के दौरान मांझा छत पर छोड़ देते हैं। यह दीवारों, पक्ष या छत से नीचे लटका रहता है जो पक्षियों के लिए खतरनाक साबित होता है। ऐसे में बेकार मांझा, डोर समेटकर एक तरह रखें ताकि पक्षी उनके जाल में नहीं फंसे।