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जयपुर

दस साल में क्यों मर गए 48 हजार लोग

विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस आज

जयपुरSep 10, 2018 / 01:32 am

Jagdish Vijayvergiya

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जयपुर. देश सहित राजस्थान में आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। हाल ही केन्द्र सरकार की ओर से जारी किए गए नेशनल हैल्थ प्रोफाइल 2018 के अनुसार देश में वर्ष 2000 से 2015 के बीच आत्महत्या के मामले 23 फीसदी बढ़े हैं। आत्महत्या करने वालों में 30 से 45 और 18 से 30 वर्ष के लोग अधिक हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2015 में 30 से 45 वर्ष आयु के 44593 और 18 से 30 वर्ष आयु के 43852 लोगों ने आत्महत्या की। यह वर्ष 2015 के मुकाबले 33 फ ीसदी अधिक है। देश में आत्महत्या करने वालों में 66 प्रतिशत लोग 18 से 45 वर्ष आयु के हैं। अकेले राजस्थान में पिछले एक दशक में करीब 48 हजार लोगों ने जीवन लीला समाप्त कर ली। इस रिपोर्ट के बाद विशेषज्ञों के आंकलन में सामने आया कि सोशल मीडिया और इंटरनेट का भी खासा असर पड़ रहा है। इसका उपयोग सावधानी से हो, नकारात्मक सोच रखने वालों पर विशेष नजर रखी जाए तो आत्महत्या के मामले घटाए जा सकते हैं।
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चिन्ताजनक है स्थिति
– 08 लाख लोग हर साल आत्महत्या कर रहे हैं दुनिया में
– 40 सैकंड में दुनिया में एक आत्महत्या
– 1.33 लाख लोगों ने आत्महत्या की देश में वर्ष 2015 में
– 25 फीसदी आत्महत्याएं अकेले भारत में हो रही हैं दुनिया में
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पुरुष अधिक कर रहे आत्महत्या
रिपोर्ट के अनुसार आत्महत्या करने वालों में पुरुष अधिक हैं। देश में वर्ष 2000 में 66032 पुरुषों, 42561 महिलाओं ने आत्महत्या की। वर्ष 2015 में यह आंकड़ा क्रमश: 91528 व 42088 दर्ज हुआ।
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तनावग्रस्त लोग भारत में सर्वाधिक
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार तनाव ग्रस्त लोग भारत में सबसे अधिक हैं। आत्महत्या की रोकथाम के प्रति जागरूक करने के लिए ही विश्व स्वास्थ्य संगठन व इंटरनेशनल एसोसिएशन फ ोर सुसाइड प्रिवेंशन की ओर से हर वर्ष 10 सितम्बर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाता है। वर्ष 2018 के इस दिवस की थीम ‘वर्किंग टुगेदर टू प्रिवेंट सुसाइडÓ रखी गई है।
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मानसिक निदान आवश्यक
राज्य में मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था आरोग्य सिद्धि फाउंडेशन के जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ भूपेश दीक्षित ने बताया कि मई 2018 से देश में मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम लागू है। इसके तहत आत्महत्या की कोशिश करने वाला तब तक अपराधी नहीं होगा जब तक यह साबित न हो कि ऐसी कोशिश के समय वह मानसिक रूप से स्वस्थ था। दीक्षित के अनुसार खुदखुशी की कोशिश करने वाले व्यक्ति पर कानूनी कार्यवाही करने की बजाय मानसिक समस्या के निदान व उपचार पर ध्यान देने की अधिक जरूरत है।

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