script56 हजार किसानों को किसान सम्मान निधि का इंतजार | 56 thousand farmers waiting for Kisan Samman Nidhi | Patrika News
जयपुर

56 हजार किसानों को किसान सम्मान निधि का इंतजार

56 हजार किसानों को किसान सम्मान निधि का इंतजारकिसानों की डिटेल अपडेट करने में सामने आईं खामियांखामियों ने अटकाई किसान सम्मान निधिसरकार ने किसानों का डाटा वापस भेजा

जयपुरNov 28, 2019 / 04:02 pm

Rakhi Hajela

56 हजार किसानों को किसान सम्मान निधि का इंतजार

56 हजार किसानों को किसान सम्मान निधि का इंतजार


गाजीपुर में विभागीय लापरवाही की वजह से 56 हजार किसानों को किसान सम्मान निधि नहीं मिल पा रहा है। राजस्व व कृषि विभाग की लापरवाही के कारण सैकड़ों किसान प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के लाभ से वंचित हैं। डाटा फीडिंग के दौरान किसी का नाम गलत तो किसी का आधार नंबर गड़बड़ है। किसान कर्मचारियों की चूक सुधरवाने के लिए राजस्व से लेकर कृषि विभाग के अफसरों का चक्कर लगा रहे हैं। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत किसानों को सरकार की तरफ से सालाना छह हजार रुपया दिया जाना है। यह पैसा दो.दो हजार की तीन किश्तों में पहुंचना है। योजना लागू होने के बाद जिले के किसानों ने बड़ी संख्या में आवेदन किया। आवेदन के बाद डाटा फीडिंग की सबसे बड़ी लापरवाही सामने आ रही है। किसी का नाम गलत है तो किसी का आधार नंबर। बैंक पासबुक भी दूसरे किसानों के खाते में चढ़ गई। विभागीय गड़बड़ी का खामियाजा किसानों को उठाना पड़ रहा है। इन्हीं सब को आधार मानकर भारत सरकार ने 56000 किसानों का डेटा विभाग को वापस भेज दिया है। जिन्हें सुधार करना है और सुधार होने के पश्चात ही उनके खातों में किसान सम्मान निधि का अगली किस्त भेजी जाएगी। जिसको लेकर इन दिनों कृषि विभाग कार्यालयों में किसानों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है । जिसको लेकर विभाग के कुछ कर्मचारी इनके डाटा फिटिंग को सही करने में जुटे हुए हैं । तो वहीं कुछ कर्मचारी अपने कार्यालयों से नदारद नजर आ रहे हैं। जिसको लेकर इन किसानों में गुस्सा भी नजर आ रहा है। डिप्टी डायरेक्टर कृषि ने बताया कि जो त्रुटि पूर्ण डाटा भारत सरकार के द्वारा भेजा गया था। उसमें से 70: सही कर लिया गया है शेष को जल्द ही सही कर लिया जाएगा। शम्भू ने बताया कि उसका नाम शम्भू की जगह हम्भू फीड कर दिया गया। इस वजह से उसे योजना का लाभ नहीं दिया गया। राजस्व कर्मियों से शिकायत की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। बाद में नाम संशोधन के लिए ऑनलाइन आवेदन किया गया। इसके बाद कृषि विभाग ने नाम तो सही कर दिया लेकिन योजना की एक भी किश्त उसके खाते में नहीं भेजी गई।
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